पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चाहिये । नान युग का सृजन कागजी पत्रिधानों द्वारा अपने अाप नहीं हो जायगा, क्योंकि प्रजातन्त्र श्रादतों और परम्पराओं की चीज है। सबसे अधिक अापको जन साधारण की सेवा करनी चाहिये। हमारे लाग्यो भाई, जो राष्ट्र की सम्पूर्ण सम्पत्ति का उत्पादन करने है. भूत्र और बकारी के शिकार रहते हैं । वे अज्ञान में डूबे हुए, पीडित और शोपित हैं । वे सहायता के लिए अापकी अोर देग्यते हैं, और भावी राष्ट्र-नेता होने के नाते यह अापका कर्तव्य है कि श्राप उनकी श्रावश्यकतायो का अध्ययन करे और यथाशक्ति, उनकी संवा करें। हमारा संघर्ष एक नवीन रूप ले रहा है जिसमें ठोस निस्पृह कार्य की आवश्यकता होगी । भविष्य में इस देश के प्रत्येक अान्दोलन का मूल्यांकन करने में यह नहीं देखा जायगा कि उसके पीछे कितना शोरगुल है, बल्कि यह देखा जायगा कि उगने कितना ठोस कार्य किया है। राष्ट्रीय घटनाओं के पर्व मनाना और यदाकदा प्रदर्शन आयोजित करना अावश्यक है. परन्तु हमें अनुभव करना चाहिये कि अब इस प्रकार की हलचलों के नर से ऊपर उठने का समय श्रा गया है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप राष्ट्र के लिए ठोस वास्त- विक कार्य करने में जुट जाय । कर्म अापका महामन्त्र होना चाहिये । अापको याद रखना चाहिये कि अापका सरोकार केवल राजनीति से नही है, क्योंकि अापको सास्कृतिक लदयों की भी सिद्धि करनी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान युग की प्रवृत्ति, राजनीति में अगुवा बनने के लिये, मानसिक स्वतंत्रता, वैधानिक स्वाधीनता,