पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२४५

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( २१८ ) और नैतिक सिद्धांतों का भी बलिदान करने की है । नैतिक धरातल बहुत नीचे गिर गया है, और यथार्थवाद के नाम मे प्रत्येक कार्य का औचित्य प्रतिपादन किया जाता है। यह भावना प्रत्येक संस्था मे घर करती जा रही है । जब वह आती है तो आंदोलन का सर्जनात्मक अाकर्षण चला जाता है क्योंकि राजनीतिक रस्साकशी में सलग्नता उस लक्ष्य को ही विकृत कर देती है जिसकी सिद्धि प्रांदो- लन का उद्देश्य होती है। अतः मै आपस अनुरोध करूंगा कि आप इग्न प्रवृत्ति से लड़े, और आचरण का एक ऐसा मान-दण्ड रखें जो आपके उच्च ध्येय और आदर्शों के अनुरूप हो । मैं अापके सम्मेलन की सब प्रकार की सफलता की कामना करता हूँ और आशा करता हूँ कि वह अागामी वर्ष भर का कार्य- क्रम निर्धारित कर लेगा। मेरी सम्मति है कि अाप साम्प्रदायिक शांति और भ्रातृभाव पैदा करने के कार्य में जुट जाय । इस कार्य का बड़ा राजनीतिक महत्व है और इस ओर अापका सम्पूर्ण ध्यान जाना उचित है ।