पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२५६

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( २२६ ) हमारे प्रति अमैत्रीपूर्ण कर देगा, और हमें यह न भूलना चाहिए कि रूस की मैत्री ही नहीं तटस्थता भी आगामी दिनों में हमारे लिए महत्वपूर्ण होगी । हमारा हित बड़ी शक्तियों की राजनैतिक प्रतिस्पर्धात्रों से दूर रहने में है । हम एक गुट का दूसरों के विरुद्ध पक्ष नहीं ले सकते । सन्धि में ब्रिटेन के लिए विशेष अनुकूल शतें नहीं रखी जा सकतीं। इङ्गलैंण्ड के कुछ हक्कों का निपटारा करने के लिए तो सन्धि की ही जायगी। उसमें व्यापार-विषयक धारा भी जोड़ी जा सकती है, बशर्ते कि वह दोनों के लिए समान रूप से लाभदायक हो। अनाक्रमण-समझौता भी किया जा सकता है । परन्तु इस अर्थ की कोई मैत्री-सन्धि नहीं हो सकती कि भारत सोवियत रूस के विरुद्ध श्रांग्ल गुट में सम्मिलित हो रहा है । ---