पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आगे बढ़ना गर्जन हुआ, और एक [७] ६ अगस्त, १६४६ के अवसर पर भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास में : अगस्त एक अत्यन्त महत्वपूर्ण तिथि है । इस दिन भारतीय जनता ने विदेशी जुए को उतार फेंकने का प्रथम गम्भीर प्रयास किया था। प्रथाम बार इस देश में जन-क्रान्ति का सुब्ध नवीन कल्पना और श्राशा से प्रेरित जन-समुद्र में ज्वार उटा । जन-समुदाय ने प्राकृतिक भूत-शक्तियों की नाई कार्य किया और ब्रिटिश शासन की नींव तक हिल उठी । परन्तु कुछेक अन्तर्निहित कमजोरियों के कारण, अान्दोलन अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असमर्थ रहा । सामाज्यवादी गुर्गेशाही ने अान्दोलन को निर्दयता से कुचला और जनता पर दमन और प्रातक का नग्न ताण्डव हुअा। लोगों को नजरवन्दी, कारावास, कोड़ों की मार सामूहिक जुर्माने, वम वर्षा, हत्या, लूट, अग्निकाण्ड इत्यादि सहने पड़े और नागरिक और प्रेस के अधिकारों को छीन लिया गया।