पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२७३

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का सृजन करेगा जो संकीर्ण साम्प्रदायिक, जातीय, वर्ग विषयक और राष्ट्रीय पक्षपात से भी रहित होगा और एक ऐसे पर विचार- वादी दृष्टिकोण के विकास के लिए अनुकूल पृष्ठभूमि और अाधार उपस्थित करेगा, जो सामाजिक न्याय, स्वाधीनता, और समानता के महान यादों में सजीव विश्वास पर, और विस्तृत मानवता पर आश्रित होगा। पाठ्यक्रम के अन्त में पुस्तकों के नाम विभागों में बंटे हुए मिलेंगे। यह आवश्यक नहीं कि सब विद्यार्थी प्रत्येक विभाग में की सब पुस्तकों का प्रत्येक परिच्छेद पढ़े । इनमें से कुछेक कितावें अथवा उनके अश स्पष्टतः अधिक विस्तृत अथवा गहन अध्ययन के लिए हैं । अनुमान है कि प्रत्येक विभाग में से कम से कम तीन से पांच कित वे तक विषय के समुचित परिज्ञान के लिए आवश्यक होंगी। इन किताबों को विद्यार्थियों के लिए छांटने का काम अध्ययन शाखात्रों के संचालक अपने गुरुजनों की सलाह से करेंगे | कुछेक अत्यावश्यक पुस्तके पुष्पांकित कर दी गई हैं । इनमें से अधिकांश पुस्तकें विश्वविद्यालयां और विद्यालयों के पुस्तकालयों अथवा सार्वजनिक पुस्तकालयों में मिल जानी चाहिये । सामान्य समाजशास्त्र: समाजशास्त्र का क्षेत्र और पद्धति -महद् समाज और समाज- व्यक्ति और समाज उनका परस्पर सम्बन्ध और अन्योन्याश्रित सम्बन्ध व्यक्ति और उसका वातावरण ए-पैतृक सस्कार और वातावरण--सामाजिक जीवन का मानसशास्त्रीय आधार- समूह, वर्ग, जातियां, और सम्प्रदाय--संगटन-संस्थायें और रीति रिवाज- जाति, समुदाय, राष्ट्र, राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रवाद-राज्य, उसका स्वरूप, और समाज में स्थान और कार्य-~-सामाजिक जीवन का प्राकृतिक, भौगोलिक अथवा प्रादेशिक प्राधार-इतिहास