पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२८२

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पं. जवाहरलाल नेहरू यद्यपि जब पंडित जवाहरलाल नेहरू इङ्गलैण्ड में विद्यार्थी थे, तब फोबियन समाजवाद की अोर उन्होंने एक अस्पष्ट अाकर्षण अनुभव किया था, तथापि यह निश्चित है कि वे निर्णयात्मक रूप से समाजवादी विचारधारा के प्रभाव में सन् १९२६-२७ की अपनी यूरोप-यात्रा में आये थे । अनेक मनीषियों और सहृदय व्यक्तियों पर रूसी क्रान्ति का गहरा प्रभाव पड़ा था, और उससे भी अधिक प्रभाव पड़ा था समाज के आर्थिक आधारों को पुनर्गठित करने के उस सोवियत प्रयोग का, जिसका उद्देश्य जनसमुदाय की सुखसमृद्धि करना और सब प्रकार के शोषण का अन्त करना था। वे सहृदय मनस्वी भी इस निष्कर्ष पर पहुंच चुके थे कि कोरी राजनीतिक स्वाधीनता जनता के किसी काम की नहीं होती जब तक कि साथ ही समाज के आर्थिक और सामाजिक ढांचे में मूलभूत परिवर्तन न किये जायें । वे सामाजिक अन्याय, शोषण, गरीबी, और व्यथा की समस्या से तंग थे और पराधीन औपनिवेशिक देशों में जहां प्रथम विश्व-युद्ध के पश्चात् अलौकिक जनजागृति हुई थी, विचारशील व्यक्ति अपने आपसे यह प्रश्न पूछ रहे थे कि क्या केवल राजनीतिक स्वाधीनता ये समस्यायें हल हो जायेंगी। रूसी प्रयोग ने मार्ग दिखला दिया था, और भारत में प्रत्येक सहृदय विचारक ने स्वराज्य