पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२८८

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(२६१ ) अतिरिक्त और कारण नहीं समझता कि वे भारतीय राजनीति में एक ऐसी शक्ति सम्पन्न विभूति हैं जो संकटों से प्रेम करते हैं और साहस, अात्म बलिदान और स्फूर्तिपूर्ण कार्य का सम्मान करते हैं। जवाहरलाल जी का मुख्य कार्य भारत के राष्ट्रीय अान्दोलन को याधुनिक प्रवृत्तियों के अनुसार बनाना, ओर उसे यथासम्भव, जनतन्त्र और समाजवाद के लिए जो अन्तर्राष्ट्रीय आन्दोलन चल रहा है, उसके साथ जोदना रहा है | यह स्पष्ट है कि वढुवर्गीय संस्था होने के कारण कांग्रेस समाजवादी राज्य स्थापित करने का साधन नहीं हो सकती । परन्तु वर्तमान विश्व स्थिति में, जबर्दस्त शक्तियों की टकर के कारण, उसमें एक नवीन रगत लाई जा सकती है, और यथार्थ में, यदि वह अपने पूर्ण स्वतन्त्रता के लक्ष्य के प्रति सच्ची रहना चाहती है तो उसे अधिकाधिक समाजवादी विचारधारा के प्रभाव में पाते चलना चाहिये । मेरे विचार से जवाहरलाल जी की हलचलों को एक ऐसे व्यक्ति की सरगर्मियाँ बताना जो समाजवादी राज्य की स्थापना के उद्देश्य से कार्य कर रहा है, और इस आधार पर उनकी विरोधपूर्ण अालोचना करना ठीक नही होगा । यद्यपि वे पक्के समाजवादी हैं, तथापि उनकी हलचलें अधिकतर प्रजातन्त्र और आर्थिक जन- समुन्नति के श्रादों से परिचालित होती हैं । वे किसी वाद-विशेष से बँधे हुए नहीं हैं, और न उनकी प्रकृति किसी दल-विशेष के नेता होने के उपयुक्त है। वे वैज्ञानिक समाजवाद के कुछ अाधारभूत सिद्धान्तों को मानते हैं, परन्तु वे मार्स और लेनिन की प्रत्येक बात में अन्धविश्वास नहीं करते । किसी स्थिर, अपरिवर्तनीय सिद्धांत- वाद के अनुयायी नहीं हैं । वे सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करने का दम भरने वाली प्रत्येक विचार-पद्धति के दावे की जांच करने