पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/६०

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) अब का कार्य बन्धुओ, हम यहाँ एक संकट के अवसर पर एकत्रित हुए है । कला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक वर्षे के बाद हो रही है। आपको यह तय करना है कि उसके सामने समाजवादियों की ओर से कौन से प्रस्ताव रखे जायें। हमें कांग्रेस को सशक्त बनाने के उपाय दिने है । यह कोई आसान काम नहीं है। मैं जानता हूँ कि आज हम गिरे हुए और हतोत्साह हैं। कांग्रेस पर पराजय-भावना आई हुई है। परन्तु मेरी तुच्छ सम्मति में निराशा की कोई बात नहीं है। यह मही है कि राष्ट्रिय स्वतन्त्रता देखने में नहीं भाती, परन्तु इसमे कोई सन्देह नही है कि राष्ट्रिय स्वतन्त्रता मान्दा. लन अधिक सशक्त हो गया है । और यह भी कम लाभ की बात नहीं है कि हमने ब्रिटिश साम्राज्यवाद से कोई सौदा अथवा समझौता नहीं किया है। हमने कोई आत्मसमर्पण नहीं किया, और कांभेस की ध्वजा कभी नहीं गुकी । महात्माजी वैसे ही अडिग हैं, यद्यपि उन्होंने रुक जाने का सलाह देकर औरो के लिए मार्ग साफ कर दिया है। सबसे अधिक ग्राद रखने की बात यह है कि कोई भी सच्चा प्रयास विफल नहा होता । लेनिन के शब्दों में "क्रान्ति की निस्वार्थ साधना, और क्रान्तिकारी विश्वास से जनता से की गई अपील कभी निष्फल नहीं होती, चाहे कान्ति के बीज धोने और फसल काटने मे अनंक वर्षों का अन्तर पब जाय।" यह स्पष्ट है कि हम केवल कांग्रेस के रचनात्मक कार्य से सन्न नहा रह सकते । जो उस प्रकार का कार्य करग वे आदर के पात्र है, परन्तु हम अपने को धोखा देकर यह झूठा विश्वास नहीं कर सकते कि इस प्रकार के कार्यों से जनता अपने भाप उठ सी होगी। न हम उस सुधारवादी और विधानवादी नीति के पापक हो सकते है, जिस पर कार्यस