पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/७८

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मिलेगी जो मिलनी चाहिये और उनके अभाव अभियोगों का निराकरण नहीं हो सकेगा। किसान सभा का अस्तित्व ऐसे स्थानों के लिए ही अधिकतर आवश्यक होगा जिससे कृषकों का दिन प्रति दिन का संघर्ष चल सके । कांग्रेस-मंत्रिमंडलों के समय में, कांग्रेस का यह मामान्य कार्यक्रम हो गया था कि वह किसानों से प्रार्थना-पत्र लेकर उनके अभाव अभियोगों को दूर कराने में उनकी सहायता करे, परन्तु ऐसे भी अनेक उदाहरण हैं जहाँ किसी कमेटी ने इस विषय में केवल इस कारण से कोई अभिरुचि नहीं दिग्वाई क्योंकि वह कमेटी जमींदारों के द्वारा नियन्त्रित थी जो कांग्रेस के कार्यक्रम के प्रति सच्चे न थे, और जो अपने स्थान का दुरुपयोग कृषकों के अहित में करते थे। इसके अतिरिक्त हम यह भी नहीं जानते कि श्राज कांग्रेस कमेटियाँ कुषकों की प्रतिदिन की समस्यायों में जो विशेष दिल बसी दिखा रही है, वह उसी पैमाने पर चलती रहेगी अथवा नहीं। इन विभिन्न कारणों से किसान को किसान सभात्रों में संगठित करना आवश्यक है। और जब कृपकों का संघों के रूप में अपने श्रापको संगठित करने का अधिकार काँग्रेस ने बारम्बार माना है, नो फिर कांग्रेमियों के किसान संस्थाओं से पृथक रहने पर ज़ोर देना क्या उचिन और बुद्धिमत्तापूर्ण है । यद्यपि कृषक लोग साधारणतः कांग्रेस और किसान सभा में कोई भेद नहीं करते- और इस तथ्य से उस कथन की पुष्टि होती है कि किसान सभा की अोर शंका की दृष्टि से नहीं देखना चाहिये परन्तु 'किसान सभा' शब्द उन्हें प्यारा है, और उनके ऊपर जादू का सा अमर करता है । इस लिये किसान सभायें तो बनेगी ही। यदि कांग्रेस वाले उन्हें नहीं बायेंगे, तो और व्यक्ति बनायंगे जो सम्भवतः कृषक-आन्दोलनों को