पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/७७

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(२०) लिए यह आवश्यक है कि उन्हें अपने ही वर्ग की संस्था में पहिले ट्रेनिग दी जाय। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय संस्था होने के कारण कांग्रेस कृषकों की श्राधारभूत माँगें ही क्या, कोई भी मॉगें स्वीकृत करने की स्थिति में नहीं है, जब तक कि वह ऐसा करने के लिए परिस्थितियों से विवश न हो जाय । भारतीय जनता की अतिशय दरिद्रता की ओर प्रारम्भ से ही हमारे जन नायकों का ज्यान गया है, परन्तु उन्होंने उसे एक राजनीतिक कष्ट के ही रूप में देखा है जिसका मुख्य कारण विदेशियों द्वारा भारत का शोषण है। उन्होंने यह नहीं सोचा कि वह देश के आर्थिक ढाँचे में ही अन्तहिन है और उस ढाँच में कान्तिकारी परिवर्तन करके ही दूर की जा सकती है। अतः किसान- संगठन कांग्रेस पर क्रान्तिकारी दबाव डालने के लिये आवश्यक है जिससे कांग्रेस कृपकों की माँगों की अधिकाधिक मानती चले । गतकाल में ऐसा दबाब डालकर अच्छे परिणाम निकाले जा चुके हैं और आज तो कांग्रेस कृषकों के हितों के लिए लड़ने के लिए वचन बद्ध है । क्योंकि कांग्रेस राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने का दावा करनी है और हम जानते हैं कि शोपित कृषकों का विशाल समुदाय ही राष्ट्र है । अतः यदि कांग्रेस राष्ट्र का हित करना चाहती है, तो उसे औपनिवेशिक और सामन्तशाही शोषण के अाधार को मिटा देने का प्रयत्न करना चाहिये । क्योंकि काँग्रेस संगठन विभिन्न प्रान्तों में असमान स्तरों पर पहुँचा है, और क्योंकि बहुत सी कॉग्रेस कमेटियों पर जमींदारी तत्वों का नियन्त्रण है, इसलिये अनेक स्थानों में कांग्रेस के प्रस्ताव क्रियान्वित नहीं किये जा सकते और कागज पर ही रखे रह जाते है। ऐसे स्थानों में कृषकों को कांग्रेस कमेटियों से वह सहायता नहीं