पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/९४

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पुस्तकालय खोलेंगे। वे ग्रामयुवकों को स्वयंसेवक दलों में संगठित करेंगे और उन्हें ग्रामों के रक्षा-दलों के रूप में कार्य करना सिखायेंगे वे समाज की ग्रार भी अनेक उपयोगी सेवायें करेंगे और उसके अनेक छोटे-छोटे अभावों की पूर्ति करेंगे । सबसे अधिक वे कृषकों को समाज-विरोधी तत्वों और शोषण उत्पीड़न की शक्तियों के विरुद्ध लड़ने से लिए संगठिन करेंगे। इस कार्यक्रम को हाथ में लेने का उद्देश्य देहात में ऐसे केन्द्र बनाना है जहाँ से सब ओर प्रकाश फैल सके । संघर्ष के समय में वे पथप्रदर्शकों और सुदृढ़ दुर्गों का काम देगे । इस प्रकार का संगटन-कार्य ग्राम-समुदाय में एकना और आत्मविश्वास की भावना पैदा करेगा । वह उनमें नव जीवन का संचार करेगा। वह नीरस कठोरता जो ग्राम-जीवन को प्रामयुवकों के लिए इतना घृणित और अनाकर्षक बना देती है शनैः शनैः दूर हो जायगी। लोगों को एक ठोस जीवनोद्देश्य मिल जायगा। जो समष्टिजीवन धीरे धीरे बनेगा उससे उन्हें नवीन बल और एकता प्राप्त होगी। इस प्रकार वह केन्द्र एक शक्तिशाली संगठन बन जायगा जो संकट के समय में कार्यवाही के लिए तैयार मिलेगा और सब प्रकार के उत्पीड़न का सामना करने में समर्थ होगा । वह निर्भर करने योग्य और अविचल होगा। सामाज्थवाद-विरोधी संघर्ष के लिए इस कार्य का अत्यधिक महत्व है। यह निस्संदेह सत्य है कि यह कार्ग बहुत ही सौम्य प्रकार का है और सम्भवतः साधारण कार्यकर्ता जो प्रसिद्धि-प्रेमी होते हैं और चमक दमक में रहना चाहते हैं उसकी ओर आकर्षित न हो सकेंगे परन्तु गम्भीर प्रकार के कार्यकर्ता जिनका ध्येय क्रान्तिकारी होगा और जो जानते होंगे कि उसकी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिये