पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/९३

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( ६६ ) अतः देश को शीघ्र ही इन परिवर्तनों के लिए प्रस्तुत रहना चाहिये और काँग्रेस को हमारे सामाजिक और आर्थिक ढांचे में इन उग्र परिवर्तनों को क्रियान्वित करने के लिए योजनायें बना लेनी चाहिये। किमान-संस्था का यह कर्त्तव्य होगा कि वह देश के सम्मुख इस कृपक कार्यक्रम को रक्खे और उसे मनवाने के लिए हलचल मचाये । परन्तु हमारे लिए अब समय आ गया है कि हम हलचलों के स्तर से ऊपर उठे। किसान संगठन कभी भी शक्तिशाली नहीं था, और पिछले तीन वर्षों में तो वह छिन्न भिन्न हो गया है । हमें अब नया निर्माण करना है । हमें यह देखना है कि नींव पक्की हो। यह कार्य अत्यन्त विशाल है । इसके लिए हमें उपयुक्त नेतृत्व बृहद् कार्य यन्त्र machinery की स्थापना करनी होगी। हमें कार्यकर्तायों के सैद्धान्तिक शिक्षण के लिए भी प्रबन्ध करना पड़ेगा । साहम और विश्वास तो आवश्यक हैं ही परन्तु जब तक उनका सामञ्जस्य ज्ञान से नहीं होता तब तक प्रयत्न के बरावर फल नहीं मिल सकेगा परन्तु किसान कार्यकर्त्तायों की सबसे बड़ी सार्थकता ग्राम संगठन में जुट जाने में हैं। इसके लिए प्रत्येक जिले में एक ग्राम समूह को लगकर कार्य करने के लिए चुन लेना चाहिये । चुनने के मामले में यह ध्यान रखना चाहिये कि जिस क्षेत्र को चुना जाय उसमें राजनीतिक जागृति हो और वहाँ की आबादी विषम-तत्वों से मिलकर न बनी हो । समाजसेवा और रचनात्सक कार्य तो हमारे कार्यकर्ता करेंगे ही परन्तु उन्हें इस कार्यक्रम का गतिशील उपयोग रना चाहिये। उन्हें ग्राम के युवकों को शिक्षा की देखभाल करनी चाहिये । इस कार्य के लिए वे शिक्षा-प्रसार आन्दोलन चलाएँगे, और शिक्षा का संचालन और संगठन करेंगे और चलते फिरते