पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/११०

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पंजी और उसका उपयोग चली गई हैं और कोयले तक पहुँचने के लिये जिनमें बीस-बीस साल तक काम करने की आवश्यकता होती है । वे रेलैं और बड़े-बड़े ऐन्जिन यनवा सकती हैं। हजारों भादमियों को लगा कर बड़े-बड़े कारखाने खड़े करके उनमें यंत्र स्थापित कर सकती हैं। समुद्र के दूसरी पार तार लगा सकती हैं। तैयारियां पूरी होने और व्यवसाय स्वाश्रयी होने तक भूखे श्रादमियों को खिलाने भर की ज़रूरत रहती है। इस काम के लिए कम्पनियों को जयतक अतिरिक्त भोजन उधार मिलता रहेगा तबतक उनकी कर्तृत्व-शक्ति का कोई अन्त नहीं पायगा। ____ कभी-कभी योजनायें असफल हो जाती हैं और अतिरिक्त भोजन के मालिक घाटे में रहते हैं, किन्तु उनको यह खतरा उठाना ही पड़ता है। कारण, अतिरिक्त मोजन रक्खा न रहेगा। यदि उसका उपयोग नहीं किया जायगा तो वह वैसे ही नष्ट हो जायगा । इस प्रकार वढे-बड़े व्यवसायियों और उनकी कम्पनियों को हमेशा अतिरिक्त रूपया मिलता रहता है और यहुत ग़रीबों और थोड़े धनियों वाली यह सभ्यता हमेशा बढ़ती ही रहती है जिसमें कारखाने, रेल, खाने, जहाज, हवाई जहाज़, टेलीफ़ोन, महल, भवन, होटल और मॉपडियाँ समी हैं । यह याद रखना चाहिये कि इन सब मूल-भाधार खाद्य-सामग्री का बोया और काटा जाना है। सभ्यता की दीवार इसी पर खड़ी है। अतिरिक्त पूँजी का यही चमत्कार है कि उससे जमीन और अतिरिक्त आय वाले आलसी लोग तो न जानते हुये भी अत्यधिक धनी हो जाते हैं और बिना जमीन वाले तथा धनहीन लोग अत्यधिक ग़रीब । हम पूंजीवाद के लाभों से वस्तुतः इतने प्रभावित हैं कि पूँजीवाद के नाश को सभ्यता का नाश मान बैंठे हैं । पूंजीवाद हमको अनिवार्य प्रतीत होता है। अतः हमें पहिले तो यह सोचना चाहिए कि पूंजीवाद की प्रणाली की हानियाँ क्या है और फिर यह कि कोई अन्य मार्ग भी है या नहीं। एक तरह से दूसरा कोई उपाय नहीं है। जिन व्यवसार्यों को स्वाश्रया बनाने के लिए हफ्तों, महीनों या वर्षों काम करना पडता है,