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पूँजी और श्रम का संघर्ष

पूंजी और श्रम का संघर्ष १३५ अमल किया जिनके अनुसार थोड़े से खरगोशों या पक्षियों की चोरी करने के अपराध में लोगों को निकृष्ट अपराधियों के साथ रहने के लिये भेज दिया जाता था, उनकी जागीरों में मजदूरों की कैसी खराब हालत थी ? उन्हें ये किननी थोड़ी मजदूरियों देते थे, उन्होंने किस प्रकार अपनी जागीरों में पर्च भाव इंग्लैण्ड के सिवा अन्य मत के ईसाइयों को जो धाडम्यर-विरोधी थे, सताया और उन धर्मस्थान नहीं बनाने दिया। इस प्रकार के लोक-प्रान्दोलन से उन्होंने भूस्वामियों के प्रति जनता में इतना रोष उत्पस कर दिया था कि वे सुधार-कानून का विरोध करने में असफल रहे। किन्नु भूस्वामी अपनी इस पराजय को शिर झुका कर सह लेने के लिए तैयार न थे। उन्होंने लाई शेफ्टसबरी के फैक्टरी कानूनों के लिए शुरु किये गये थान्दोलन का समर्थन करके कारखानेदारों से इसका यदला लिया। उन्होंने बतलाया कि कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को अमेरिका और वेस्ट. इन्दीज़ के खेतों में काम करने वाले गुलामों से भी बदतर हालत है, खराब-से-वराव भूस्वामियों की खराव-से- खराब मौंपदियों में कारखाने वाले क्रस्यों के मजदूरों के संकीर्ण घरों की अपेक्षा ताज़ी हवा तो मिलती है। यदि कारखानेदार इस बात की पर्वाह नहीं करते कि उनके कारखानों में काम करने वाले सनातनी ईसाई हैं या मुधारक, तो वे इस बात की पर्वाह भी नहीं करते कि वे सुधारक हैं या नास्तिक । कारण, उनका शैतान के अलावा और कोई ईश्वर नहीं है। वे व्यवसायसंघ-वादियों को कैद करवा कर अपनी शक्तिभर उनका उत्पीड़न करते हैं और यह कि किमानों और भूस्वामियों के बीच जो व्यक्तिगत और यहुधा दयापूर्ण सम्बन्ध रहते हैं, भूस्वामियों के यहाँ गृह-कार्य करने वाली स्त्रियों को शिष्टाचार और सद्गृहस्थी की परम्पराओं का जो शिक्षण मिलना है, विशाल जागीरों में वृन्दों और बीमारों के प्रति जो कोमल व्यवहार होता है, वह मन खानों और कारखानों की वस्तियों में पाई जाने वाली गन्दगी और दीनता, निर्दयता और पाखण्ड, व्यभिचारोत्तेजक अत्यावास और गन्दगी से उत्पन्न होने वाले रोग