पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/१४३

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समाजवाद:पूँजीवाद


प्रकोपों के बीच ग़ायब हो जाता है। ___ यद्यपि यह सब बिल्कुल सही था; किन्तु यह तो वही बात हुई कि तपेली केटली को अपने से अधिक काली कहे । कारण, उसके बाद न तो कभी भूस्वामियों ने मुनाफे का वह अंश लेने से इन्कार किया जो कार- खानेदार खानों और कारखानों में उनके लिए पैदा करते थे, न उन्होंने अपनी लंकाशायर की भूमि में कारखाने और मजदूरों के श्रावास बनने में बाधा ही डाली और न कारखानेदारों ने कारखानों से सम्पत्ति पैदा कर लेने के बाद देहातों में भूमि खरीद कर भू-स्वामी बनने में ही संकोच किया। कहने का तात्पर्य यह है कि भूस्वामियों और कारखानेदारों में अधिकार-प्राप्ति के लिए जो संघर्ष हुथा, उसके फलस्वरूप मजदूर हितकारी कानून वन पाये । यह सब उस समय हुआ जब पार्लमेण्ट में श्रमजीवियों को व्यापक मताधिकार प्राप्त न था। ____ इंग्लैण्ड की पार्लमेण्ट में भूस्वामियों ने अनुदार दल कायम किया और कारखानेदारों ने उदार दल । दोनों दल एक दूसरे के मुकाविले में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते थे। इसलिए तीसरे पक्ष अर्थात् मजदूर दल की वन श्राई। उदार दल वाले अपने-श्राप को सुधारवादी खयाल करते थे, क्योंकि उन्होंने ही बादशाह से शासन-सुधारों की योजना मंजूर करवाई थी। उन्होंने यह समझा कि मजदूरों का समर्थन उन्हीं को मिलेगा, इसलिए उन्होंने मजदूरों को मताधिकार दिये जाने का प्रस्ताव किया। पहले तो अनुदार दल ने इसका विरोध किया, किन्तु अपने नेता वैजमिन डिसराइली के समझाने पर वह चुप हो गया। इस प्रकार मजदूरों को कुछ मताधिकार मिला और उसके द्वारा उन्होंने और भी अधिक मताधिकार पाने की कोशिश की । फल-स्वरूप सभी को मताधिकार प्राप्त हो गया और स्त्रियाँ भी उससे वंचित न रही। अवश्य ही स्त्रियों को इसके लिए उग्र आन्दोलन करना पड़ा। गत महायुद्ध के समय उन्होंने देश का काम इस खूबी के साथ किया कि उनका अधिकार वरबस स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद जो श्रमजीवी मतदाता शुरू में अनुदार और उदार दल