सिक्का शोर उसकी मुविधायें १४६ घऔर शेयर शादि कादियों के भाव भी न यिक सकेंगे । धनी निर्धन हो जायेंगे और उन पर शाश्रित यासंग्यक गरीब बेकार । उस दशा में यदि सरकार उद्योगों की व्यवस्था अपने हाथ में न ले तो लूट-मार शोर दंगे ओमकने हैं और इसके बाद बचे हुए लोग किमी नेपोलियन या नुमोलिनी के भागे दुशी-गुशी घुटने टेक दे मक्ते हैं और वह निरंक्श सनाधिकारी थशिशिन जनना की हिंसात्मक शक्तियों को संगठित करके पुरानी प्रयन्धा को पूर्णतः या पंगतः पुनः फायम कर दे सकता है। सिका और उसकी मुविधायें प्रयनक हमने अनिरिक्त रुपये अर्थात् निजी जो के यारे में विचार किया । किंतु मब रपया, जो काम में आता है, अतिरिक्त रुपया नहीं होता। दुनिया में गाने, पहनने और रहने पर शेयरों श्रादि की अपेक्षा कहीं अधिक सर्च होता है । यतः मराल यह है कि रपया क्या है और चदि प्रनिरिक्त रपया न हो तो रुपये की कीमत कैसे स्थिर हो ? ___ रुपया याम्नय में चीजें खरीदने का एक सुविधा-जनक साधन और मूल्य का माप है। यदि यह न हो तो खरीद-यिको सम्भव हो जाय । अवश्य ही चीजों के बजाय चीजों का लेन-देन भी हो सकता है, किंतु उममें कई तरह की दिक्कत पेश पाती हैं। प्रथम तो चीज़ों को हमेशा साथ लेकर नहीं धृमा जा सकता, दूसरे चीजों में चीजों का मूल्य ठीक- ठीक वसूल करना मुश्किल होता है और तीसरे सामने वाले पक्ष के लिए अमुक प्रकार की चीजें बदले में लेना अनुफूल या प्रतिकूल भी हो सकता है। इसलिए सरकार सुविधाजनक श्राकार और निर्दिष्ट वजन वाले सोने के सिक्के जारी करती है, जिनको श्रामानी से साथ में ले जाया जा सकता है। जिन कामों के लिए सोने जैसी मूल्यवान धातु की श्रावश्यकता नहीं होती, उनके लिए सरकार चाँदी और कांसे के सिक्के बनाती है और
पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/१५६
दिखावट