पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/१५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५०
समाजवाद : पूँजीवाद

१५० समाजवाद : पूंजीवाद कानून द्वारा यह तय कर देती है कि इतने चांदी के सिक्के सोने के पक सिक्के के वरावर माने जायेंगे । इन सिक्कों के द्वारा लोग इच्छानुसार चीजें खरीद सकते हैं। रुपया भाजीविका का चिन्ह है, इस अर्थ में कि उसके द्वारा खाने- पीने और पहनने की चीजें खरीदी जा सकती हैं। किन्तु सरकारी नोट या धातु के सिक्कों को हम खा, पी या पहन नहीं सकते । यदि वाजार में मक्खन या घी न हो तो हमारे ख़जाने में लाखों रुपये होने पर भी हम को सुखी रोटी खाकर ही गुजर करना पड़ेगा। चीजों की कीमत सस्ती और महंगी होनी रहती है । जब कोई चीज़ अधिक मात्रा में होती है तो वह सस्ती और कम मात्रा में होती है तो महंगी हो जाती है। किन्तु चीज़ों के सस्ते और महंगे होने का यही एक- मात्र कारण नहीं होता । रुपये की अधिक या कम मात्रा का भी चीजों के मूल्य पर असर पड़ता है। यदि सरकार अपनी टकसाल से प्रचलित रुपये जितना ही रुपया और निकाल दे तो जिस चीज़ के लिए पहले एक रुपया देना पड़ता था, उसके लिए दो रुपया देना पड़ेगा, हालांकि यह हो सकता है कि उस चीज़ की मात्रा में कोई कमी न हुई हो। ___ सोने का सिक्का सव से सुरक्षित सिक्का समझा जाता है। सरकारों के पलट जाने पर भी उसके मूल्य में कोई फर्क नहीं पड़ता । यदि सरकार आवश्यकता से अधिक सिक्के ढालने लगे तो उन सिक्कों को गलाकर दूसरे काम में जेवर आदि बनाने के काम में लाया जा सकता है। किन्तु अाजकल सोने के सिक्कों का मूल्य बहुत कम हो गया है। उनके स्थान पर काग़ज के टुकड़े जारी हो गये हैं, जिनका मूल्य स्वतंत्र रूप से नहीं कुछ के बराबर होता है। ___सरकारें सिक्कों के मामले में बड़ा गोलमाल कर सकती हैं। इंग्लैण्ड के बादशाह हेनरी आठवें ने कम वज़न के सिक्के जारी करके अपने लेनदारों को धोखा दिया था। जव इस प्रकार के धोखों का पता चलता है तो चीज़ों की कीमतें और मजदूरियाँ बढ़ जाती हैं। ऐसी दशा में देनदारों को लाभ होता है, क्योंकि वे हल्के वजन के सिक्कों में अपना