१६४ समाजवाद : पूँजीवाद सकता था, किन्तु इससे जार के अनुयायियों को बढा धक्का लगता. जो यद्यपि कमजोर पड़ गये थे, किन्तु बिल्कुल शक्तिहीन नहीं हो चुके थे। जव बोल्शेविकों ने लिबरलों की जगह ली तो उन्होंने भी ज़ार और उसके परिवार को सफेद सेना की पहुंच से दूर एक प्रान्तीय देहात में पड़ा रहने दिया। दुर्भाग्यवश चैकोस्लोवाकिया की एक फौजी टुकड़ी उस समय रूस में होकर गुजर रही थी। चैक लोगों ने अपने नेता मसारिक की अधीनता में तत्कालीन स्थिति का लाभ उठाया और राष्ट्रीय स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए जर्मनी और श्रास्ट्रिया-हंगेरी के विरुद्ध मिन-राष्ट्रों से मिल गये। उन्होंने रूसी सफेद सेना को अपना मित्र और रूसी लाल सेना को शत्रु समझा । चैक सेना ज़ार के निवास स्थान के इतनी नज़दीक पहुँच गई थी कि शायद वह जार को कैद से छुड़वा लेती । स्थानीय बोल्शेविक अधिकारी इसके लिए तैयार न थे। उन्होंने बड़ा विचित्र और अभूतपूर्व तरीका अख्तियार किया। उन्होंने ज़ार के निवास-स्थान पर पादरी को भेजकर विशेष प्रार्थना का प्रबन्ध किया और उसके बाद ज़ार और उसके परिवार को दूसरे स्थान के लिए रवाना होने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया । वेचारों को ज़रा भी पता नहीं था कि कुछ ही क्षण के भीतर वे इस दुनिया से विदा हो जायंगे । अचानक बन्दूकधारी सैनिकों का एक दल कमरे में घुसा और पलक मारते में जार को, उसकी बीवी को, उसके लडके और तीन लड़कियों को धड़ा-धड़ गोलियों का शिकार बना दिया । बाद में उन सब के शव जंगल में ले जाये गये और घासलेट का तेल छिड़क कर जला दिये गये । दुनिया के एक शक्तिशाली सम्राट और उसके परिवार का यह कितना करुण अन्त था । सोविएट सरकार की बाद में जैसी शानदार विजय हुई, उसको देखते हुए यदि चैक-सेना ने जार को बचा लिया होता तो भी कुछ बिगड़ न जाता। दूसरे पदच्युत बादशाहों की भांति वह भी यात्रियों के मनोरंजन का साधन होता। कोई भी सरकार जो पूंजीवाद के स्थान पर साम्यवाद की स्थापना
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