पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/२९

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२२ समाजवाद : पूंजीवाद जीवन निर्वाह करते हैं । इस योजना का यह लाभ यतलाया जाता है कि वह उनके बीच में धनिकों का एक वर्ग पैदा कर देती है जो खाली शिक्षा द्वारा अपने को सुसंस्कृत बना लेता है और उससे ऐसी योग्यता प्राप्त कर लेता है कि देश पर शासन कर सके; कानून यना कर उनकी रक्षा कर सके; राष्ट्र की रक्षा के लिए सेना मंगठित कर उसका संचालन कर सके; विद्या, विज्ञान, कला, साहित्य, दर्शन, धर्म और उन सब चीजों को जो महान् सभ्यता और ग्रामीण जीवन के अन्तर को स्पष्ट करती हैं, संरचाण देकर जीवित रख सके; विशाल भवन निर्माण करा सके भद- कीली पोशाकें पहिन सके; गंवारों पर रौब गाँठ सके और सभ्यना नया शौक़ीनी के जीवन का उदाहरण पेश कर सके । जैसा कि व्यवसायी खयाल करते है, सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि वे श्रायश्यकता से अधिक देर उन्हें बड़ी मात्रा में अतिरिक्त रुपया बचाने का अवसर देते हैं। इसी रुपये को पूंजी कहते हैं। यह योजना, जिसे अल्प जन-सत्तावाद कहते हैं, समाज को भद्र और साधारण दो भागों में विभक्त करती है। भद्र लोग सम्पत्ति पर और साधारण लोग श्रम पर जीवन-निर्वाह करते हैं । यह कुछ को धनी और बहुतों को कंगाल बना देने वाली योजना है, जो दीर्घकाल से चली बाई है और अब भी चल रही है । यह स्पष्ट है कि यदि धनिकों की आमदनी छीन कर गरीबों में बाँट दी जाय तो भी उनकी गरीबी में विशेष अन्तर नहीं पड़ेगा; किन्तु इससे पूंजी का मिलना बन्द हो जायगा, कारण फिर कोई कुछ भी वचा न पायगा । धनिकों की ग्रामीण अट्टालिकाश्री की हालत विगढ जायगी और विज्ञान, कला, साहित्य तथा सारी संस्कृति का लोप हो जायगा । यही कारण है कि इतने अधिक लोग वर्तमान पद्धति का समर्थन करते हैं और स्वयं कंगाल होते हुए भी धनिक वर्ग का साथ देते है। ___किंतु इस योजना से भयंकर बुराइयों पैदा होती हैं। ये भद्र लोग उन कामो को नहीं करते जिनको करने के लिए उन्हें बड़ा अनाया गया था। उद्देश्य श्रेष्ठ होते हुए भी वे देश का शासन बुरी तरह