पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/३७

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समाजवाद:पूँजीवाद

३० समाजवाद : पूँजीवाद सकती है, वही देश को,महाद्वीप को और अन्त में सारी सभ्य दुनिया को 'पतित बना सकती है; कारण, दुनिया भी एक विस्तृत पड़ोस ही तो है। उसके दुष्परिणामों से धनी नहीं बच सकते । जब दरिद्रता से खतरनाक संक्रामक रोग फैलते हैं (भागे या पीछे वे हमेशा फैलते ही हैं) तो धनी भी उनके शिकार होते हैं और अपने बच्चों को अपने मुंह आगे मरता देखते हैं। इसी तरह उससे जब अपराधों और हिंसा की बाढ़ आती है तो धनी दोनों ही के डर से भागते हैं और उन्हें अपनी और अपनी सम्पत्ति की रक्षा के लिए बहुत सारा रुपया खर्च करना पड़ता है। धनिकों के बालकों को चाहे कितनी ही सावधानी के साथ अलग क्यों न रक्खा जाय, दरिद्रता के कारण पैदा होने वाली बुरी श्रादतों और गन्दी ज़बान को वे गरीबों से तुरन्त सीख लेते हैं। यदि ग़रीव घरों की सुन्दर युवतियां सममें (वे समझती हैं) कि ईमानदारी से काम करने की अपेक्षा वे दुराचरण द्वारा अधिक रुपया कमा सकती हैं तो वे धनी युवकों के रक्त को विपमय कर देंगी। ये ही युवक जब शादी करेंगे तो अपनी पत्रियों और बच्चों को भी उसी बीमारी को छूत लगा देंगे और उनको हर तरह के कष्ट पहुँचाने के कारण बनेंगे। कभी-कभी अंग-भंग, नेत्र- हीनता और मृत्यु तक की नौवत पहुंचेगी। अन्यथा कुछ-न-कुछ उत्पात तो सदा होगा ही। यह पुराना खयाल है कि लोग अपने श्राप में मस्त रह सकते हैं और पड़ोस में या सौ मील दूर होने वाली घटनाओं का उन 'पर कुछ असर न होगा; किन्तु यह बहुत ग़लत खयाल है। हम आपस में भाई-भाई हैं। यह कोरी धार्मिक उक्ति नहीं है जो बिना किसी मतलब के धर्म स्थान में दुहराए जाने की ग़रज़ से कह दी गई हो । वह मूर्तिमान सत्य है । नगर का धनी हिस्सा ग़रीब हिस्से से दूर रह सकता है, किन्तु जब प्लेग पाएगी तो ग़रीब हिस्से के साथ वह भी मरेगा, वच नहीं सकेगा । दरिद्रता का अन्त कर चुकने के बाद ही लोग अपने आप में मस्त रह सकेंगे । जबतक ऐसा नहीं होता, वे दरिद्रता के दृश्यों, शोर-गुल और दुर्गन्ध को नित्य घूमने जाते समय अपनी आँखों से दूर नहीं रख सकेंगे और न सुख की नींद सो सकेंगे। दरिद्रता-जनित अत्यन्त भयानक