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समाजवाद:पूँजीवाद

समाजवाद : पूँजीवाद उतना सर्वश्रेष्ठ काम के लिये पा सकना असम्भव होता है। और जब सर्वश्रेष्ठ काम के लिए कुछ भी नहीं मिलता तो सामान्य काम से श्राजीविका पैदा करते हुए उसके लिए अवकाश पासकने की कठिनाई रहती है। लोग उच्चतर काम के लिए जब अपने को योग्य समझते हैं तो क्वचित ही उससे विमुख होते हैं । वे इन्कार तभी करते हैं जव उच्चतर काम के लिए इतना कम वेतन दिया जाता हो या वह उनकी सामाजिक स्थिति के इतना विपरीत हो कि वे उसे न कर सकें । उदाहरण के लिए इंग्लैण्ड की सेना का एक साधारण अफ़सर कभी-कभी कमीशन-पद लेने से इंकार कर देता है । जब वह ऐसा करता है तो उसका कारण यही होता है कि निम्न पद से उच्च पद में वह अधिक खर्च और कम आराम समझता है। दोनों पदों में समान आय-व्यय और श्राराम होने की दशा में वह ख़ुशी से कमीशन-पद स्वीकार करता, क्योंकि उससे उसकी प्रतिष्ठा भी तो बढ़ती है। गन्दे काम-हम लोगों ने एक ख़याल बना लिया है कि गन्दे कामों को गन्दे और गरीब आदमी करते हैं, इसीलिए हम उन्हें करना अपमानजनक समझते हैं। हमारे ख़याल में यदि गन्दे और अपमानित लोगों का एक स्वतंत्रवर्ग न हो तो वह काम हो ही नहीं। यह बेहूदा ख़याल है । पदवीधारी सर्जन और डाक्टर जो सुशिक्षित और सुवेतन- भोगी होते हैं तथा ऊंचे-से-ऊंचे समाज में श्राते-जाते हैं दुनिया का कुछ गन्दे-से-गन्दा काम करते हैं। नर्से जो सर्जनों और डाक्टरों की मदद करती हैं सामान्य शिक्षा में बहुधा उनके बराबर और दर्जे में कभी- कभी उनसे भी वही होती हैं । शहरी दफ्तरों में टाइपिस्टों का काम कहीं स्वच्छतर होता है, किन्तु कोई यह कल्पना भी नहीं करता कि उनकी अपेक्षा उन नौं को कम वेतन दिया जाय या उनका कम आदर किया जाय । प्रयोगशालाओं का काम और शरीर-विच्छेदन का काम, जिसमें मृतशरीरों की चीर-फाड और जीवित प्राणियों के रक्त, मल-मूत्र आदि का विश्लेपण करना पड़ता है, एक स्वच्छ गृहस्थी के दृष्टि-विन्दु से कभी-कभी बहुत ही गन्दा होता है, फिर भी व्यावसायिक