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समान श्राय की आपत्तियां

समान श्राय की आपत्तियां भद्र खी-पुरुष उसको करते ही हैं। हरएक स्वच्छता-प्रेमी जानता है कि गन्दा काम हुग यिना घरों को स्वच्छ नहीं रखा जा सकता। बच्चों को पैदा करना और उनका पालन-पोषण करना किसी भी तरह साफ़ काम नहीं है, किन्तु कोई भी यह नहीं कह सकता कि वह अत्यन्त सन्मानपूर्ण नहीं है और न अत्यन्त नखरेबाज़ शौकीन स्त्रियां अवसर पाने पर उसमे मुंह ही मोदती हैं। किन्नु बहुन सारा काम तो श्राज इसलिए गन्दा है कि वह गन्दे लोगों के हाथों येडंगेपन से होता है। उसी काम को साफ सुथरे श्रादमी साफ-सुथरे ढंग से कर सकते हैं। प्रयय करने पर दुनिया का श्रावश्यक काम इतनी कम गन्दगी के साथ किया जा सकता है कि जिसे सब श्रेणियों के स्वस्य लोग महन कर लेंगे । और सत्य तो यह है कि लोग दरिद्रता और पतन के साथ काम के सम्बन्ध को जितना बुरा समझते हैं, टतना बुरा काम को नहीं समझने । उदाहरण के लिए इन्लएड में कोई भी सन्य कुलीन अपनी मोटर स्वयं चलाने में कोई आपत्ति न करेगा, किन्नु वह दाइगर की पोशाक पहिनना मंजर न करेगा। इसी तरह कोई भी कुलीन महिला अपना घर स्वयं बिना संकोच माइ-बुहार देगी, किन्नु वह नौकरानी के लिबास को पहिन कर किसी के सामने जाने के बजाय मर जाना मंजूर कर लेगी । यद्यपि दाइवर और नौकरानी की पोगा साफ-सुथरी होती है और कुछ खराब भी नहीं दिखती; किन्नु उन् पहिनने में सन्य कुलीन को और कुलीन महिला को आपत्ति इसलिए होती है कि वे भूनकाल में निम्न स्थिति की सूचक और असम्मानपूर्ण सनी जाती थीं। अप्रिय काम-अप्रिय कामों को रुचिकर बनाने की दिशा में बहुत कुछ किया जा सकता है और कुछ से तो बिल्कुल पिंड ही छुडाया जा सकता है । यदि उन कामों को करने के लिए दरिद्र और अशिक्षित लोगों का एक वर्ग न होता तो उनसे कभी का पिंढ छूट गया होता। ऐसे बहुत मे तरीके हैं जिनके द्वारा श्राज जो काम अरुचिकर हैं वे ऐसे बनाए जा सकते हैं कि सामान्य श्रावस्यक श्रम करते समय जितनी कठिनाई अनुभव