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पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/७५

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समाजवाद : पूँजीवाद

६९ समाजवाद : पूँजीवाद विभाजन ने समय से पूर्व ही सन्तति-नियमन का प्रश्न हमारे सामने उपस्थित कर दिया है। कनाडा और आस्ट्रेलिया में बहुत सा स्थान खाली पडा मालूम होता है, किन्तु वहाँ के लोग कहते हैं कि वह अनुपयोगी स्थान बसने योग्य नहीं है । जापान में प्रावादी बहुत बढ़ गई है, इसलिए जापानी कह सकते हैं कि अच्छा, तुम उसमें नहीं बसते हो तो उसमें हम बस जायेंगे। किन्तु वे इंग्लैण्ड की सैनिक धाक के कारण ऐसा कहने का साहस नहीं करते । जहाँ सन्तति-नियमन का धर्म-संस्थाओं द्वारा घोर - विरोध होता है वहाँ भी उसका प्रचार है या हो रहा है। केवल एक ही उपाय है जिसके द्वारा उस पर अंकुश लग सकता है । वह है, अस्वाभाविक दरिद्रता का नाश जिसने कि उसे समय से पहिले जन्म दिया है। प्राय का सान विभाजन दरिद्रता का नाश कर सकता है। ____यह कोई नहीं कह सकता कि समय आने पर जनसंख्या पर आवश्यक प्रतिबन्ध किस प्रकार लगाया जायगा। सम्भव है प्रकृति ही इस समस्या को हल कर दे। हम देखते हैं कि पैदा हुए बच्चों की संख्या आवश्यकतानुसार कम या अधिक होती है। यह उस सम्भावना की सूचक है । जब बालकों को ऐसे ख़तरों और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है कि उनमें से बहुत कम के जीवित बचने की आशा की जा सकती है उस समय प्रकृति बिना किसी हस्तक्षेप के इतनी अधिक संख्या में बच्चे पैदा करती है कि मानव-जाति का पूर्णतः लोप न हो जाय । दरिद्र, बुधिन, कमज़ोर और विकार-युक्त लोगों में (जिनके बच्चे छोटी अवस्था में ही बड़ी तादाद में मर जाते हैं) अधिक बच्चे पैदा होते हैं। ___ यदि प्रकृति अत्यधिक मरण से प्राणियों का लोप न होने देने के लिए उत्पत्ति में वृद्धि कर सकती है तो हमें इसमें क्यों सन्देह होना चाहिए कि वह अत्यधिक थावादी के कारण होने वाले प्राणियों के नाश को रोकने के लिए उत्पत्ति कम भी कर सकती है ? जो लोग यह कहते हैं कि यदि हम दुनिया की दशा सुधार देंगे तो उसमें श्रावश्यकता से अधिक आयादी बढ़ जायगी, वे प्रकृति के उस रहस्यमय ढंग को नहीं समझते ।।