पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/९७

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समाजवाद:पूँजीवाद

१० समाजवाद : पूँजीवाद धनी लोग पूछ सकते हैं कि इस रुपये का उन्हें क्या प्रतिफल मिलता है ? सरकार इसी रुपये से तो फ़ौज, पुलिस, न्यायालय, जेलें श्रादि सारे सार्वजनिक सेवा-साधन उपलब्ध करती है जिनमें लाखों लोग काम करते हैं। इंग्लैण्ड में इसी रुपये में से दस करोड़ गिन्नी से अधिक रुपया पैन्शनों और वेकार-वृत्तियों के रूप में उन लोगों को भी दिए जाते हैं जिनकी थोडी आय होती है या बिल्कुल नहीं होती। ___ श्राय का यह पुनर्विभाजन विशुद्ध समाजवाद है । इसमें धनिकों से रुपया लेकर गरीवों में बांटा जाता है और उनकी व्यक्तिगत योग्यताओं का कोई ख़याल नहीं किया जाता। ___ युद्ध की शुरूआत में इंग्लैण्ड में मुनाफाखोरों का प्रभाव इतना अधिक था कि उन्होंने गोले-गोलियां राष्ट्रीय कारखानों में बनने देने के बजाय स्वयं बनाने की इजाजत सरकार से ले लो। इसका परिणाम यह हुश्रा कि वूलविच के गोले-गोलियां बनाने वाले सरकारी कारखाने के मजदूर बेकार बैठे रहे और उन्हें सरकारी कोप से पूरा वेतन चुकाया गया। यह रुपया सार्वजनिक ही था । यह इसलिए हुआ कि मुनाफाखोर कम्पनियां मुनाफा कमा सकें। इस सौदे में उन्होंने जो नफा कमाया वह भी करदाताओं ने ही दिया और उनके मजदूरों की मजदूरियां दी। किन्तु उनका तैयार किया हुआ सामान शीघ्र ही नाकाफ़ी, अनावश्यक रूप से मंहगा और रही साबित हुश्रा । गोलों के हमेशा न फटने के कारण फ्लैण्डर्स के युद्ध-क्षेत्र में काफी अंगरेज़ मारे गए । अन्त में सरकार को यह काम फिर अपने हाथ में लेना पड़ा । सरकार अच्छा सस्ता सामान काफी परिमाण में बनवा सकी । यह राष्ट्रीयकरण के पक्ष की एक बड़ी विजय थी । किन्तु युद्ध खत्म हो जाने के बाद पूँजीवादी अखबारों ने इन सरकारी कारखानों को रखना सरकार का अपव्यय बताना शुरू किया। फल यह हुआ कि वे नाममात्र मूल्य में मुनाफाखोरों को बेच दिए गए। राष्ट्रीय मजदूर निकाल दिए गए जो सेना से निकाले हुए मजदूरों के साथ २० लाख की संख्या में सड़कों पर फिरते थे । इनको सरकारी कोप से वेकार वृत्तियाँ देनी होती थीं।