सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/१५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४५
उर्दू-शतक

तो हिन्दी, उर्दू, फारसी, अँगरेज़ी आदि जिस भाषा में वह परिश्रम करेगा उसी में वह उत्तम कविता लिख सकेगा। उर्दू-शतक की उत्कृष्ट कविता के कुछ नमूने हम नीचे देते हैं। पर एक बात हम कहना चाहते हैं। वह यह कि इस कविता में फ़ारसी के कोई कोई क्लिष्ट शब्द आ गये हैं। अतएव जो लोग उनका अर्थ न जानते होंगे उनको, सम्भव है, यह कविता रोचक न लगे। परन्तु इससे कविता की उत्तमता कम नहीं हो सकती।

घनाक्षरी

एक परचे से परचाया न हुजूर हमें,

हम ग़म खाया किसे ऐसी बेबसाई में।

शाहिद हमारे चश्म तर ये रहेंगे खूब,

दरिया बहाते थे जो दुनिया हँसाई में॥

रामानन्द तेरा था भरोसा बहुतेरा तूने,

ऐसा मुँह फेरा है हिनेोज़ बेवफाई में।

सीना में पसीना कहीं जहर न पीना पड़े,

जीना दुश्वार है जनाब की जुदाई में॥ १९॥


कहर ख़ुदा है ज़रा आँख से मिलाना आँख,

क़दमबास होना तो ज़रूर हो ज़रर है।

कचे से निकल जाना पैर कटवाये जायँ,

फन्दा गेसुओं का तो अजीब ही ख़तर है॥


नाज़ अन्दाज़ में क़यामत है रामानन्द,

शोहरा शहीदों का ज़रूर तर बतर है।

बुते बेपीर से लगाना दिल यार गोया,

पत्थर से शीशे को लड़ाना सरासर है॥ २६॥

स० स०--१०