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पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/२०२

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समालोचना-समुच्चय

Bhupati भूपति (F. L. 1287 A. D.) Nothings is known of this Poet. He seems to be the same Poet. whose translation of the 10th canto of the Bhagawat has been previously noticed. See report for 1902, ( No. 115.)

भूपति की यह पुस्तक जब इतने महत्त्व की समझी गई तब उसका नमूना ज़रूर देना था। पर भूपति बुँदेलखण्ड के कवि न थे। इस कारण नमूना नहीं दिया गया। उनकी पुस्तक के परिचय में केवल इतना ही लिख दिया गया है कि उसमें १४ पन्ने हैं और उसकी श्लोक-संख्या १७५ है। पुस्तक की कापी दतिया की दरबार-लाइब्रेरी में है। यदि इस पुस्तक से कुछ सतरें नमूने के तौर पर दे दी जातीं तो उसके रचनाकाल का अनुमान करने में बहुत सुभीता होता।

यह १४ पन्ने की पोथी, यदि वह तुलसीदास के पहले की भी हो, कोई महत्वपूर्ण रामायण नहीं मानी जा सकेगी।

ऊपर दिये गये इस रिपोर्ट के अँगरेज़ी में भूपति-कृत भागवत दशमस्कन्ध के जिस अनुवाद का उल्लेख है उसका पचिय १९०२ ईसवी की खोज की रिपोर्ट के पृष्ठ ७६ पर दिया गया है। यह पुस्तक "Incomplete" (अपूर्ण) और "Incorrect" (अशुद्ध ) है। यह "कैथी" लिपि में है और गोरखपुर में एक महाशय के पास है। इस अपूर्ण, अशुद्ध और कैथी में लिखी हुई कापी का सन्-सम्वत् विश्वसनीय नहीं। यह कापी १८५७ सम्बत् की लिखी हुई है। इसके अन्त में है--

'संवत् तेरह सै भये चारी अधीक चालीस' इसी से इसका रचना-काल संवत् १३४४ बताया गया है। पर जोधपुर-निवासी