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पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/२०१

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खोज-विषयक रिपोर्ट

नहीं। यदि दो चार भी ग्रन्थ विशेष उपयोगी समझे जायँ और खोज के अध्यक्ष उनके विषय में अपनी खुलासा सम्मति दे दें तो, सम्भव है, पुस्तक प्रकाशन का काम करनेवाले उन ग्रन्थों को प्राप्त करके उन्हें छपा कर प्रकाशित करने का प्रयत्न करें। रिपोर्ट के मूल अंश में सम्पादक-महाशय प्रसिद्ध प्रसिद्ध पुस्तकों का उल्लेख अवश्य करते हैं, पर वह काफ़ी नहीं। रिपोर्ट के आरम्भ में लिखा है:--

The discovery of a story of Rama, named Ramcharita Ramayana, in the Doha and Chaupai metre, by one Bhupati, who wrote it so early as the year 1285 A. D. and as belonging to a date much earlier than that of the celebrated Tulsi Dasa, is very remarkable."

अर्थात्----रामचरित-रामायण नाम की एक पुस्तक मिली है। उसमें रामचन्द्र की कथा है। वह दोहा और चौपाई छन्दों में है। उसकी रचना भूपति नाम के किसी कवि ने की है। वह बहुत पुरानी, अर्थात् १२८५ ईसवी की, है। अतएव वह प्रसिद्ध भक्त तुलसीदास के भी बहुत पहले की हुई। यह बात स्मरणीय है--इस पुस्तक की प्राप्ति एक अनूठी बात है।

परन्तु इतना ही लिख कर चुप न हो जाना चाहिए था। इस पर कुछ अधिक विचार करना चाहिए था। क्योंकि तुलसीदास के कई सौ वर्ष पहले की बनी हुई रामायण की प्राप्ति सचमुच ही साहित्य-सम्बन्धिनी अनोखी घटना है।

भूपति कवि पर रिपोर्ट के भीतर जो नोट दिया गया है उसमें कोई विशेष बात नहीं। वह यह है--