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पृष्ठ:समालोचना समुच्चय.djvu/२०४

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समालोचना-समुच्चय

हिन्दी-नवरत्न

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इलाहाबाद में नागरी-प्रवध्र्दिनी नाम की एक सभा है। उसके अन्तर्गत एक और छोटी सी सभा है, जिसका नाम हिन्दी-ग्रन्थ-प्रसारक मण्डली है। यह मण्डली अच्छे अच्छे नवीन ग्रन्थ और अन्य भाषाओं के अच्छे अच्छे ग्रन्थों के अनुवाद प्रकाशित करने के उद्देश से स्थापित हुई है। कोई भी इसका सभासद हो सकता है। सभासदों को इस मण्डली की प्रकाशित पुस्तकें मुक्त मिलती हैं। उद्देश इसका प्रशंसनीय है। हिन्दी-नवरत्न इस मण्डली की प्रकाशित की हुई पहली पुस्तक है। बाबू माणिक्यचन्द्र जैनी, बी० ए०, एल-एल० बी० इस मण्डली के मन्त्री हैं। उन्होंने इसकी एक कापी हमारे पास समालोचना के लिए भेजी है।

पुस्तक-सम्बन्धिनी साधारण बातें

इस पुस्तक को तीन भाइयों ने मिल कर लिखा है। उनके नाम हैं---( १ ) पण्डित गणेशविहारी मिश्र, ( २ ) पण्डित श्यामविहारी मिश्र, एम० ए० और (३) पण्डित शुकदेवविहारी मिश्र, बी० ए०। इनमें से अन्त के दो महाशयों से हिन्दी-प्रेमी बहुत समय से परिचित हैं। पहले महाशय का नाम अभी कुछ ही दिनों से सर्व-साधारण के सामने आने लगा है। इस पुस्तक में इन तीनों महाशयों के हाफटोन चित्र हैं। पुस्तक महाराजा छत्रपुर को समर्पित हुई है। उनका भी एक चित्र पुस्तक के आरम्भ में है।

पुस्तक अच्छे चिकने काग़ज़ पर, अच्छे---न बहुत बड़े, न बहुत छोटे----टाइप में, छपी है। बड़ी ही सुन्दर जिल्द बँधी हुई है। छपाई का काम प्रयाग के इंण्डियन प्रेस का है। पुस्तक के पुट्ठे पर