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गायकवाड़ की प्राच्य-पुस्तक-माला
गायकवाड़ की प्राच्य-पुस्तक-माला
(Graikirad's Oriental Series)
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महाराजा बड़ौदा, सर सयाजीराव गायकवाड़, आदर्श राजा हैं। शासन की कोई शाखा ऐसी नहीं जिसकी उन्नति उन्होंने न की हो अथवा जिसकी उन्नति की ओर उनका ध्यान न गया हो। वे चाहते हैं कि उनकी प्रजा सब तरह सुखी रहे, उसके आराम के लिए हर तरह के सुभीते हो जायँ, उसे विद्या-प्राप्ति और ज्ञान-लाभ के लिए किसी बात की कमी न रहे। वे जानते हैं कि ज्ञान-वृद्धि का सब से बड़ा साधन शिक्षा और पुस्तक-प्रचार है। इसी से आज तक उनकी सहायता से कोई साढ़े तीन सौ लाभदायक ग्रन्थों का प्रकाशन हो चुका है। कितनी ही पुस्तक-मालिकायें, उनकी कृपा और सहायता से, निकल चुकी हैं और अब तक निकल रही हैं। कुछ के नाम सुनिए―

(१) बाला-ज्ञानमाला में लड़कियों के पढ़ने योग्य अनेक पुस्तके (Readers) प्रकाशित हुई हैं।

(२) भारतीय सङ्गीतमाला में १५ पुस्तकें सङ्गीत पर प्रकाशित हुई हैं।

(३) ज्ञान-मञ्जूषा में विज्ञान-विषय की तीस पुस्तकें निकली हैं।

(४) प्राचीन काव्यमाला में गुजराती भाषा के ३५ प्राचीन काव्य प्रकट हुए हैं।

(५) राष्ट्र-कथामाला की १० जिल्दों में अनेक जातियों के इतिहास छप चुके हैं।

स०स०-४