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समालोचना-समुच्चय

आपने अपने लिए चुना है उसके अधिकारी आप नहीं; यही लोग हैं।

अमेरिका के संयुक्त-राष्ट्रों या देशों में बोस्टन नाम का नगर, ऐतिहासिक दृष्टि से, बड़े महत्त्व का है। इँँगलेंड के आधिपत्य से छुटकारा पाने के लिए पहले पहल इसी नगर में स्वाधीनता की लहर उठी थी और यहीं से सारे देश में फैली थी। वहाँ पहुँचने पर, इस विषय में, पर्य्यटक महाशय के हृदय में जो विचार उठे उनकी बानगी देखिए―

“ग़ुलामी के पञ्जो में पड़े हुए देशों में स्वतन्त्रता की लड़ाई जब प्रारम्भ होती है तब तो वह प्रथम प्रथम थोड़े ही मनुष्यों के द्वारा हुआ करती है। किन्तु यदि स्वतन्त्रता की विजय हुई तो यही छोटा दल देशभकों के दल के नाम से इतिहास के पृष्ठों पर अङ्कित होता है और आनेवाली जातियाँ इन्हें सम्मान की दृष्टि से देखती हैं, इनका अनुसरण करती हैं और ये युवकों के हृदय-मन्दिर में स्थान पाते और पूजे जाते हैं। यदि ग़ुलामी का जुआ हटाने की चेष्टा करनेवाले वीरों की हार हुई तो वे ही “बागी" पुकारे जाते हैं और भविष्य जाति ज़ालिमों के डर के मारे उनके नाम से डरती है। अपने को प्रतिष्ठित समझनेवाले लोग इन्हीं देश-भक्तों को दुष्ट, दुरात्मा, पापी कह कर पुकारते हैं और उनसे घृणा करते हैं। हा! काल की विचित्र गति है"। पृष्ठ ६३

बोस्टन नगर के पास ही हार्वर्ड नाम का एक विश्व-विद्यालय है। यह बड़ा नामी विश्वविद्यालय है। सी० आर० लैनमैन (Lanman) नाम के एक विद्वान् वहाँ अध्यापक हैं। वे संस्कृतज्ञ हैं और पाली-भाषा के भी ज्ञाता हैं। उनके निरीक्षण में वहाँ से संस्कृत और पाली आदि भाषाओं के अनेक अनमोल और अलभ्य या