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सम्पत्ति-शास्त्र।

दनी बढ़ेगी क्योंकि उस दशा में फूस वेचनेवाले शायद कंकड़ खोदना या लकड़ो लाना अधिक लाभदायक न समझेंगे। यदि कंकड़, लकड़ी या और कोई व्ययसाय करने का सुभीता न होगा और फूस ज़ियादह मिलेगा तो ज़म- तक उसकी मांग में भी उतनाही ज़ियादती न होगी तब तक सारे फूस वेचने- वाले आपस में चढ़ा ऊपरी करके उसको कीमत घटाते जायेंगे । सब फूस ही का रोज़गार करने लगेंगे और हर आदमी यहा चाहेगा कि मेरा फूस विक जाय । यह संग्रह और खप के तारतम्य की वात हुई ।।

अब यह देखना है कि संग्रह और खप का समीकरण किस तरह होता है। दोनों घरावर कैसे हो जाते हैं । यह चढ़ा ऊपरी के प्रभाव से होता है। मुकाबले के असर साहो खप और संग्रह में समता या समीकरण पैदा होता है। बेचनेवाला चाहता है कि थोड़ी चोज़ देकर जियादह कीमत लू । मोल लेनेवाला चाहता है कि क़ीमत तो थोड़ी देनी पड़े, पर चीज़ ज़ियादह मिले । फल या होता है कि दोनों के बीच आकर्षगा और अपकर्पश शक्तियों का संघर्ष शुरू हो जाता है । उनम तुल्यबलत्त्व माते ही सौदा पट जाता है । ऊपर लिखा गया है कि कारग-विशेप से बहुत लोग फूसही का रोजगार करने लगगे । फल यह होगा कि फूस बझुत आवेगा | कल्पना कीजिए कि फूस को एक हजार गाड़ियों का संग्रह है। पर दरकार हैं सिर्फ पाँच सौ गाडियाँ । अब यदि फी गाड़ी दो मन अनाज दिया जाय नप और संग्रह में समीकरण न होगा ; क्योंकि जितनी गाडियां दरकार है उससे दुनी विकने को हैं । इस समय यदि कीमत कुछ कम होजाय तो फूसवाले परता लगायेंगे कि इतनो थोड़ी कीमत लेकर ये फूस बच सकते हैं या नहीं। यदि अधिक फायदे का और कोई काम उन्हें मिल गया तो उनमें से बहुतेरे वही काम करने लगेंगे। अन कल्पना कीजिप कि एक हजार की जगह सिर्फ ६०० गाडियों का संग्रह रह गया । अर्थात् माँभ ५ और संग्रह ६हुए । इसी तरह ये दोनों एक दूसरे के पास पास पहुँचने की कोशिश करेंगे । अन्त में दोनों का समो- करण होते ही फूस की शोमत निश्चिय हो जायगी । संभव है कुछ फूस लेनेवाले अपने खेतों में भी एक एक छोटा सा फूस का बँगला बनाने के लिप कुछ अधिक फूस लेने पर राजी होजाय-अर्थात् ६०० गाड़ियों की मांग होजाय। पैसा होने से, संभव है, सौदा पट जाय और फूस की कीमत ठहर जाय । किस तरह, सो भी सुनिए ।