पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/२०४

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हिन्दुस्तान की आर्थिक अवस्था का दिग्दर्शन।

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(६) पूँजी बढ़ाना, और सम्भूय-समुत्थान के नियमानुसार व्यवसाय फरना ।

ये सब बातें प्रायः ऐसी हैं जो बिना राजा की मदद के भी हो सकती हैं। एक बात यह कभी न भूलना चाहिए कि सम्पत्ति ही शक्ति है । ॐ देश सम्पत्तिमान् नहीं वह और और आपदायें देर सहेगा ही, पर सब से बड़े दुख की बात उसके लिए यह होगी कि वह औरों के आक्रमण और पदाघात से कभी अपनी रक्षा न कर सकेगा।