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मेहनत की वृद्धि।

भाव होता है यहां कार्य में कोई विशेषता होने के लिए कारण में भी विशेषता होनी चाहिए । मेहनत सम्पत्ति की उत्पत्ति का कारण है । संतएष सम्पत्ति तमो अधिक पैदा होगी जब मेहनत अधिक की जायगी । मेहनत से यहां यह मतलब नहीं कि जितनी मेहनत एक आदमी कर सकता है उससे अधिक करे । नहीं, मेहनत करनेवाले मजदूरों की संख्या बढ़ाने से मतलब है । क्योंकि मज़दूर अपनी शक्ति से अधिक काम नहीं कर सकते । उनसे अधिक काम तभी हो सकेगा जब उनकी संख्या बढ़ जायगी।

जितनी व्यावहारिक चीजें है सबकी गिनती सम्पत्ति में है । अत- एव सम्पत्ति बढ़ाना मानों इन चीजों की आमदनी या उत्पत्ति बढ़ाना है। और, चीजें तभी अधिक पैदा होगी जब मेहनत अधिक की जायगी। जिस देश में कल-कारखाने की अधिकता है उसमें मजदूरों के करने के वद्भुत से काम कलों से निकल जाते हैं । अर्थात् जो काम मजदूरों के–श्रम- जीवियों के करने है उसका अधिकांश कल ही से हो जाता है। पर जहाँ कलों का कम प्रचार है वहाँ मजदूरों की संख्या बढ़ाये बिना अधिक माल नहीं तैयार हो सकता। जिस चीज का नप अधिक होता है उसे अधिक उत्पन्न करना पड़ता है, और अधिक उत्पत्ति तभी हेगी जब अधिक मजदूर लगाये जायेंगे । चाय हिन्दुस्तान में पैदा होती है। उसका खप बढ़ रहा है। उसकी खेती और व्यापार से लाभ होता है। इसलिए लोग उसकी खेती और व्यापार को बढ़ाते जाते हैं ! परन्तु चढ़ा घे तभी सकते हैं जब उन्हें मजदूर अधिक मिलें । मजदूरों के लिए उन्होंने बड़े बड़े शहरों में अपने एजंट मुकर्रर कर रखे हैं। वहाँ से बे हद हूँढ़ कर मज़दर भेजते हैं। परन्तु फिर भी उनकी मांग बनी ही रहती है । अब सवाल यह है कि दिनों दिन अधिक मजदूर मिलेंगे कैसे ? इस विषय में नीचे लिखी हुई बातें ध्यान में रखने लायक हैं।

(१) जो मजदूर बाली होगे वे इस काम में लगा दिये जायेंगे।

(२) जो मजदूर और कामों में लगे होंगे वे उन्हें छोड़ कर इस काम में लग जायगे क्योंकि चाय का खप अधिक होने से उसको खेती और व्यापार से अधिक लाभ होगा। इसलिए चाय के व्यवसायी, मजदूरों को अधिक मजदूरी दे सकेंगे।