(२) वह चीज खुद भी कीमतो होनी चाहिए और उसे पाने की इच्छा भी सबको होनी चाहिए ।
(३) उस चीज़ का आकार तो छोटा होना चाहिए, पर आकार, की. अपेक्षा कोमन अधिक होनी चाहिए ।
ये तीन गुग्ण मुग्न्य हुए । यदि मुख्यामुख्य सब गुणों का विचार किया जाय तो जिस चीज़ का सिबा बनाना हो उसमें नीचे लिखे अनुसार ७ गुण होने चाहिए।
(१)कीमती होना।
(२) सहज ही में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने योग्य होना ।
(३) क्षयशील न होना। अर्थात् उसके कम हो जाने का डर न होना ।
(४) समजातिक होना । अर्थात् एक जगह एक तरह की दूसरी जगह दूसरी तरह को न होना।
(५) कम से अलग अलग भाग किये जाने योग्य होना ।
(६) कीमत में कमी-येशी न होना।
(७) देखते ही पहचान लिए जाने की योग्यता रखना ।
यदि कामती, सुडौल और सुन्दर चीज़ का सिक्का न बनाया जायगा तो लोगों को पसन्द हो न आयेगा ! फिर क्यों उसे कोई लेने की इच्छा करेगा ? लोहा, लंगड, कोड़ी आदि चीजें न ना देखने ही में अच्छी है और न उनके पाने में बहुत परिश्रमही पड़ता है। इसीसे वे कम कीमती होती हैं। आप कहंगे, होरा सबसे अधिक कीमती है, उसका लिका क्यों नहीं बनाया जाता? जवाब यह है कि हीरासहन में मिल जो नहीं सकता। और.फिर, उसके टुकड़े जो ठोक चोक नहीं हो सकने । टुकड़े करने से उसकी कीमत कम हो जाती है। १००० रुपये के कीमती होर के एक टुकड़े के यदि बराबर बराबर५टुकड़े किये जायें तो हर एक टुकड़ा कभी दो दो सौ का न बिकेगा । इसीसे हीरा सिक बनाने योग्य नहीं।
सिका को हमेशा एक जगह से दृसरी जगह ले जाने की ज़रूरत रहती
है। इससे उसका आकार डेरा होना चाहिए | यदि लोहे या लकड़ी का
सिका बने ना उसके हज़ार पाँच सौ टुकड़े ले जाने के लिए गाड़ी करना
पड़े। चीज़-वस्तु बरीदने के लिए लिक को साथ ले जाने के सिवा. देशान्तर,
में भी उसे भेजने की ज़रूरत होती है। अतएव उसका आकार जरूर छोटा