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सम्पत्ति-शास्त्र।


का बहुत कम दर रहता है। इससे उनके सिक्के बनते हैं। सिक्के के माल में परिवर्तन होने से कितनी हानि की सम्भावना होती है, इसका एक उदा- हरण लीजिए । कल्पना कीजिए कि आपकी आमदनी ८० रुपये महीने है । इसमें से ४० रुपये का आप अनाज वगैरह लेते हैं । २० रुपये का कपड़ा खरीदते हैं। और बाकी के २० रुपये फुटकर कामों में खर्च करते हैं ! अव यदि किसी कारण से चांदी सस्ती हो जाय और रुपये का भाव गिर कर पहले का आधा हो जाय तो आपकी आमदनी पूर्ववत् बनी रहने पर भी आपको भूखों मरने की नौबत मावे । इससे जिस चीज़ का सिक्का बनाया जाय उसकी कीमत में, जहां तक हो, कमी-चेशी होने की कम संभावना होनी चाहिए।

इँगलिस्तान में हिन्दुस्तान के जो "सेक्रेटरी आव स्टेट" रहते हैं उनका, उनके दफ्तर का, लड़ाकू जहाजों का, अंगरेजी फ़ौज का और जिन लोगों को हिन्दुस्तान की तरफ से पेन्शन मिलती है उनका खर्च कई करोड़ रुपयासाल पड़ता है । यह चर्च हिन्दुस्तान को देना पड़ता है । पर यहाँ चाँदी का सिमा है और इंगलैंड में सोने का । इधर कुछ समय से चांदी का भाष गिर गया। फल यह हुआ कि चांदी के सिक्के के दाम सोने के सिक्के के हिसाब से काट कर देने में हिन्दुस्तान को हर साल करोड़ों रुपये की व्यर्थ हानि उठानी पड़ी । जव इस हानि की मात्रा बहुत ही बढ़ गई तव गवर्नमेंट ने कृपा करके एक पौड़ सोने के सिक्के के दाम १५ रुपये मुकर्रर कर दिये । इससे पर अधिक हानि होने से बच गई । चाँदी के भाव का यह चदाय उतार बहुत हानिकारी है।

इससे सूचित हुआ कि जिस चीज़ का सिक्का बने उसके माल में कमी- चशी न हो सो ही अच्छा, और हो तो बहुत कम । इसीसे सोने-चांदी का सिधा बनाया जाता है। इनके मोल में कमी-पेशी तो होती है, पर कम होती है।

जिस चीज़ का सिक्का चले उसमें पहचान लिए जाने की योग्यता का होना भी जरूरी है। यदि उसके खरे खोट होने का शान लोगों को न हो सकेगा तो उसे लेने में लोग आनाकानी करेंगे।

सोने और चांदी में पूर्वोक्त सातो गुग्ण पाये जाते हैं । इससे इन्हों धातुओं के सिक्के बनते हैं। इनके सिक्कों को एक से सरी जगह ले जाने में बहुत सुभीता होता है। जगह बहुत नहीं रुकती और न टूटने फूटने या