४००. तार : 'इंडियन ओपिनियन' के सम्पादकको
जोहानिसबर्ग
मार्च ८, १९११
स्मट्ससे हुआ पत्र-व्यवहार प्रकाशित मत कीजिए ।
गांधी
- हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२५२) की फोटो - नकलसे ।
४०१. तार : 'इंडियन ओपिनियन' के सम्पादकको
जोहानिसबर्ग,
मार्च ८, १९११
मेरा खयाल है खण्ड उपनिवेशमें जन्मे भारतीयोंके अधिकारोंको केपमें रद नहीं करता और न उनकी रक्षा ही करता है । मुझे लगता है, केपमें समुद्र-मार्गसे प्रवेश करनेवालोंको शैक्षणिक परीक्षा देनी होगी। रिचसे कहिए वे उनकी कानूनी स्थितिके बारेमें स्मट्ससे स्पष्टीकरण प्राप्त करें ।
गांधी
- हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२५३) की फोटो नकलसे ।
४०२. पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको
[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च ८, १९११
संलग्न सामग्री अपने-आपमें काफी स्पष्ट है । आशा है, मेरे तारको' आपने अच्छी तरह समझ लिया होगा । जहाँतक हम तीनोंकी व्यक्तिगत कोशिशोंका सम्बन्ध है,
१. इस अनुरोधके अनुसार उक्त पत्र-व्यवहार इंडियन ओपिनियनके ११-३-१९११ वाले अंकमें प्रकाशित नहीं किया गया । बादमें, उसे १८-३-१९११ के अंकमें प्रकाशित किया गया । २. यह तार पोलक द्वारा मार्च ७ को दिये निम्न तारके जवाब में भेजा गया था : " क्या खण्ड ७ नेटालमें पैदा हुए भारतीयोंको केपमें प्रवेश करनेके अधिकारसे वंचित करता है." देखिए " पत्र : एच० एस० एल० पोलकको ", पृष्ठ ४७४ । ३. देखिए “ तार : एल० डब्ल्यू० रिचको ", पृष्ठ ४७१ ।