पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६९
अभ्यावेदन: उपनिवेश-मन्त्रीको


बसनेवाले भारतीयोंके कष्टोंके बारेमें निम्नलिखित अम्यावेदन सेवामें प्रस्तुत करनेका अधिकार तथा आदेश दिया गया था।

प्रवास-सम्बन्धी प्रतिबन्ध

२. ट्रान्सवालमें अभी हालमें प्रकाशित उस पत्र-व्यवहारको[१] पढ़कर आपके प्राथियोंको सन्तोष हुआ, जिसमें ट्रान्सवाल-निवासी भारतीयों और संघ-सरकारके बीच हुए अस्थायी समझौतेकी घोषणा की गई है। हम निवेदनकर्ता-- आपको सादर स्मरण दिलाना चाहते हैं कि इस प्रान्तके भारतीय गत चार वर्षोंके दौरान ट्रान्सवालके भारतीयों द्वारा चलाये जानेवाले दुःखद संघर्ष में बड़ी ही गहरी रुचि लेते रहे हैं, उसके साथ उनकी अत्यधिक सहानुभूति रही है और उन्होंने उसे नैतिक तथा आर्थिक सहयोग दिया है।[२] जातीय आधारपर भारतीयोंके साथ भेदभाव बरतनेवाले कानूनका अपनी समूची शक्तिके साथ विरोध करने में नेटालके भारतीय भी अपने ट्रान्सवालके भाइयोंके समान दृढ़संकल्प रहे हैं और वे इस बातको प्रतीक्षा करेंगे कि संघ-सरकार संघ-संसदके अगले सत्रमें ट्रान्सवालके वर्तमान जाति-भेदपर आधारित प्रवासी कानूनके स्थानपर सभी जातियोंपर समान रूपसे लागू होनेवाला विधान लाने और नाबालिगोंके अधिकारोंकी सुरक्षाके अतिरिक्त अन्य सभी प्रयोजनोंके लिए १९०७ के ट्रान्सवाल अधिनियम संख्या २ को रद करनेका अपना, सरकारी तौरपर दिया गया, वचन पूरा करे।

३. पर साथ ही, हम निवेदनकर्ता -उस सामान्य प्रवासी विधेयकके सम्बन्धमें अपनी गहरी आशंका भी व्यक्त कर देना चाहते हैं, जो हमारी जानकारीके अनुसार संघ-संसदके आगामी सत्रमें पेश किया जानेवाला है। क्योंकि हमारे पास यह माननेका कारण है कि उसमें नेटाल के भारतीय समाजके वर्तमान अधिकारों में कमी करनेकी कोशिश की जायेगी।[३] हम सादर अनुरोध करते हैं कि सम्राट्की सरकार भारतीयोंके वर्तमान अधिकारोंकी रक्षाको दृष्टिसे, विशेषकर अधिवासियोंकी पत्नियों और उनके नाबालिग बच्चोंके इस प्रान्तमें प्रवेशके अधिकारोंकी ओरसे जो लोग अपने संविहित अधिवासके विषयमें मन्त्रीको सन्तुष्ट कर सकें उनके अधिकारतः अधिवासके प्रमाणपत्र पानेके अधिकारकी रक्षा करनेकी दृष्टिसे दक्षिण आफ्रिकामें प्रवासी कानूनकी प्रगतिपर बड़ी सतर्कतासे नजर रखें। हम आपको आदरपूर्वक स्मरण दिलाते हैं कि वर्तमान नेटाल प्रवासी कानूनोंमें इस बातको स्पष्ट कर दिया गया है कि प्रान्तमें कितनी अवधि तक निवास करनेवालोंको अधिवासका अधिकार प्राप्त हो जायेगा, परन्तु अभी जिसे वापस लिया गया है उस संघ-प्रवासी विधेयकमें ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसलिए हमारा सादर निवेदन है कि प्रशासनकी ओरसे मनमानी न होने देनेके लिए

  1. देखिए ई० एफ० सी० लेनके नाम पत्र, पृष्ठ ९-१०, १४-१५, ३९-४१, ४७-५० तथा परिशिष्ट १,२ और ४ भी।
  2. सन् १९०८ में नेटालके प्रमुख भारतीयोंने सत्याग्रह किया था और नेटालके अन्य भारतीयोंके यून्सवाल आन्दोलनके सहायतार्थ चन्दा दिया था; देखिए. खण्ड ८, १४ २०९, ४४६, ४७६ और ४८१ ।
  3. देखिप खण्ड १०, पृष्ठ ४७५-७६ ।