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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


पंजीयनका काम यहाँ अभी शुरू नहीं हुआ। श्री चैमनेको पहली सूची कल भेज दी जायेगी, ऐसी आशा है।

मणिलालके साथ काफी बातचीत हुई। उसका विचार, यदि लड़ाई फिरसे न छिड़ी तो, अगले वर्ष विलायत जानेका है। वह प्रेसमें अच्छा काम कर रहा है।

भाई मेढने जो व्रत लिया है,[१] उसकी सूचना तो मैं शायद तुम्हें दे चुका हूँ।

मैंने अब फार्मपर विद्यालयका काम हाथमें लिया है। देखना है कि उसे कब तक निभा पाता हूँ। पिल्लेके सब लड़के चले गये। पिल्ले भी अब यहाँ नहीं है।

थम्बी नायडू अब जोहानिसबर्गमें ही रहते हैं। पी० के० नायडू[२] यहां हैं।

बा मेरे साथ फीनिक्स आई हैं। ले आनेकी आवश्यकता हो गई थी।

चंचीका पत्र मुझे अरसेसे नहीं मिला।

सब भाई मजेमें हैं। ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, तब वे मेरे पास बैठे-बैठे पढ़ रहे हैं। रातके साढ़े सात बजे हैं।

श्री रिच तथा भाई प्रागजी आज (रविवारको) फार्म पर आये। मेरा विचार (हफ्तेम) पाँच दिन फार्मपर और बाकीके दो दिन जोहानिसबर्गमें बितानेका है।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ९५३१) की फोटो-नकलसे।


९९. कूगर्सडॉर्पका बाजार

क्रूगर्सडॉर्पकी नगरपालिका लगातार वहाँके एशियाई या बस्तीको उठा देनेका यत्न कर रही है। इस नगरके यूरोपीय निवासियोंने एशियाइयोंके विरुद्ध जिहादमें[३] सदासे जो उत्साह प्रकट किया है, नगरपालिकाका यह कार्य उसके अनुरूप ही है। वहाँकी स्कूल-समिति खुशी-खुशी इन स्वार्थी आन्दोलनकारियोंके हाथोंमें खेलती रही है। परन्तु हमें आशा है कि क्रूगर्सडॉर्पके भारतीय इस प्रश्नका दूसरा पहलू भी अधिकारियोंके सामने रखने में कोई गफलत नहीं करेंगे। मुआवजेके बारेमें हमें कुछ नहीं कहना है । क्योंकि, भारतीयोंके कब्जे में जो बाड़े हैं, उन्हें जबतक वे खाली करना स्वीकार नहीं करते अथवा कानून द्वारा उन्हें इसके लिए मजबूर नहीं कर दिया जाता तबतक यह प्रश्न ही नहीं उठता। हम तो केवल इस ओर इंगित करना चाहते

है कि जिस दुरवस्थाकी शिकायत स्कूल समितिको है उसे जान-बूझकर पैदा करने के लिए वे लोग जिम्मेदार है जिनके हाथोंमें बस्तीका नियन्त्रण है।[४] इस बस्तीको उठा।

 
  1. मेढने दस वर्ष तक ब्रह्मचर्यका पालन करनेका व्रत लिया था।
  2. दक्षिण आफ्रिकामें जन्मे तमिल सत्याग्रही, जो तमिल कल्याण समितिके एक पदाधिकारी भी थे
  3. देखिए " कूगलैंडॉर्पके आन्दोलनकारी", पृष्ठ ९६ ।
  4. देखिए " जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ ११६ ।