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तार : गृहमन्त्रीको

 

प्रस्ताव ३

यह सभा इस बातका विरोध करती है कि अधिवासी होने या किसी प्रवासी या अधिकारीकी पत्नी या सन्तान होने का सबूत सन्तोषप्रद है या नहीं, इसके निर्णय- का अधिकार न्यायालय के बजाय प्रवासी अधिकारीपर छोड़ा जाये ।

प्रस्ताव ४

यह सभा अस्थायी तौरपर संघसे बाहर जाने के इच्छुक व्यक्तियोंके मामले में उनकी अनुपस्थितिकी अवधि सीमित करनेकी केपकी प्रथाको बरकरार रखनेका विरोध करती है।

प्रस्ताव ५

यह सभा विधेयकके उस खण्डका विरोध करती है जिसमें ऑरेंज फ्री स्टेटमें प्रवेश करनेवाले शिक्षित प्रवासियों द्वारा शिनाख्ती ब्योरा दर्ज करानेकी व्यवस्था की गई है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १७-२-१९१२

१८८. तार : गृहमन्त्रीको[१]

[ लॉली ]
फरवरी, ६, १९१२

आपके इसी २ तारीखके वादेके अनुसार अबतक तारकी प्रतीक्षा है । गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५६१६) की फोटो - नकलसे ।

 
  1. गांधीजीके फरवरी १ के तारके उत्तर में गृह मन्त्रालयकी ओरसे लिखा गया था कि "आशा है, आपके पहली फरवरीके तारका जवाब सोमवारको दिया जा सकेगा ।" (एस० एन० ५६१५) गांधीजी अपनी १९१२ की डायरीमें लिखते हैं कि उन्होंने इस तारका मसविदा तो तैयार कर लिया था, किन्तु उसे भेजा नहीं । (देखिए फरवरी ६ और ७ के दिन लिखी गई डायरी ) । उक्त तार उन्हें दूसरे दिन ही मिल गया था; देखिए परिशिष्ट १५ ।