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प्रवासी विधेयक

होगा । साथ ही यह भी कहना चाहूँगा कि अबतक मैंने जो कुछ निवेदन किया है, वह केवल अस्थायी समझौतेको ध्यान में रखकर । विधेयककी अन्य अनेक आपत्तिजनक बातोंकी आलोचनाका अधिकार सुरक्षित रखता हूँ ।

गांधी

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५६१८) और (एस० एन० ५६१८) की फोटो नकलसे भी ।

१९१: प्रवासी विधेयक

नेटाल भारतीय कांग्रेस और केप ब्रिटिश भारतीय यूनियनने तनिक भी देरी किये बिना प्रवासी विधेयकका विरोध करनेके लिए सार्वजनिक सभाओंका[१] आयोजन किया हैं । इस विधेयकका गत गुरुवारको संसदमें द्वितीय वाचन होनेवाला था । इस विधेयकको रचना इस प्रकार की गई है कि इससे लगभग सभी एशियाइयोंको निकाल बाहर करनेकी नीति ही कार्यान्वित नहीं होगी, बल्कि यदि यह अपने वर्तमान रूपमें ही स्वीकृत हो गया तो इसके कारण एशियाइयोंके निहित अधिकारोंमें भी बहुत अधिक हस्तक्षेप होने लगेगा और वे साधारणतया सब मामलोंमें प्रवासी अधिकारियोंकी कृपाके मोहताज हो जायेंगे । इसलिए इन सभाओं द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव[२] सभी के लिए मान्य होने चाहिए । जनरल बोथाने इंग्लैंड में कहा था [३] कि दक्षिण आफ्रिकाकी संघ-सरकार वहाँ बसी हुई एशियाई आबादीको परेशान नहीं करना चाहती। यही बात वे अन्यत्र भी दोहरा चुके हैं। इस विधेयकसे उनकी यह बात झूठी पड़ जायगी । इसके निर्माताओंने इसका नाम तो रखा है प्रवासी एकीकरण विधेयक; परन्तु वास्तवमें यह एशियाई निर्वासन विधेयक है । इस विधेयकसे यहाँके अधिवासी एशियाइयोंके यहाँ रहनेके अधिकार और उनकी पत्नियों तथा सन्तानके अधिकार तो भारी जोखिममें पड़ ही जायेंगे, शिक्षित एशियाइयोंके ट्रान्सवालसे केप तथा नेटाल और केपसे नेटाल आने-जानेपर भी बहुत पाबन्दी लग जायेगी। इस प्रकार एशियाइयोंका कोई भी वर्ग अछूता नहीं रह पाया है। इसके अतिरिक्त, नेटाल और केपवालोंको एक खास

 
  1. और
  2. देखिए पृष्ठ २१५, पाद-टिप्पणी २ और " प्रस्ताव: केप ब्रिटिश भारतीय यूनियनकी सभामें ", पृष्ठ २२२-२३ ।
  3. जनरल बोथाने, जो साम्राज्य-सम्मेलनके सिलसिले में इंग्लैंड गये हुए थे, २३ मई १९११ को २० मईके अस्थायी समझौतेपर सन्तोष व्यक्त करते हुए लन्दन में अखबारोंके लिए एक वक्तव्य दिया था । उनके बादके कथनकी रिपोर्ट देते हुए रायटरने लिखा था कि " जनरल बोथाने यह विश्वास प्रकट किया कि भारतीय लोग सरकारको सहायता देनेके लिए अपनी ओरसे वस्तु-स्थितिको सन्तोषप्रद बनानेकी दिशा में कुछ उठा नहीं रखेंगे। उन्होंने कहा था कि वे इस बातके लिए आश्वस्त रह सकते हैं कि सरकार उनके प्रति कोई शत्रुताकी भावना नहीं रखती, किन्तु उन्हें यह याद रखना चाहिए कि वह समझौतेमें विहित संख्या से अधिक भारतीयोंको प्रवेश न देनेके लिए कृत संकल्प है । "

११-१५