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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३३३

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माननीय श्री गोखले

भारतीय जनताको शिक्षित करनेके इस महान् कार्यके लिए हम मुख्यतया श्री पोलकके कृतज्ञ हैं । उन्होंने ही पहले-पहल अध्यवसाय और चतुराई से प्रवासियोंकी हिमायत की थी। शायद ही ऐसा कोई महत्त्वपूर्ण नगर हो, जहाँ श्री पोलक न गये हों, शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिससे वे मिले न हों और शायद ही कोई समाचारपत्र हो जिसे उन्होंने जानकारी न दी हो । शेरिफकी सभा महत्त्वपूर्ण थी, किन्तु यह उनके परिश्रमका सर्वोत्कृष्ट फल कदापि नहीं था । यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे बीच श्री पोलक-जैसे कार्यकर्ता विद्यमान हैं । [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, १०-८-१९१२


२५६. अवैध विनियम
  अभी पिछले दिनों श्री रिचने मजिस्ट्रेटकी अदालत में बॉक्सवर्गके एक भारतीयकी' पैरवी की। आरोप यह था कि वह एक ऐसे अहातेका संचालन करता है, जिसमें वतनी किरायेदार रखे जाते हैं, और यह नगरपालिकाके विनियमोंका उल्लंघन है । अभियुक्तको सजा हो गई। श्री रिचने अपील की। अपीलकी पैरवी श्री ग्रेगरोवस्की ने की और न्यायालय ने इस आधारपर सजा रद कर दी कि उक्त विनियम अवैध हैं । यह एक महत्वपूर्ण फैसला है । यदि विनियमोंको वैध ठहराया गया होता तो बहुत-से भारतीयों को इससे बड़ा नुकसान पहुँचता ।

[ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, १०-८-१९१२


२५७. माननीय श्री गोखले
  माननीय श्री गोखले-जैसा भारतीय इस देशमें पहली बार आ रहा है। श्री गोखलेन हमारी बहुमूल्य सहायता की है। गिरमिटकी प्रथा बन्द होनेके लिए हम उनका जितना आभार मानें उतना कम है । उनके प्रयत्नसे ही हमें सत्याग्रहियोंके लिए इकट्ठे किये गये कोषमें भारी रकम प्राप्त हुई । सत्याग्रहियोंके प्रति उन्हें गहरी सहानुभूति है । श्री पोलककी उन्होंने बहुत मदद की है। भारतकी विधान परिषद (लेजिस्लेटिव कौंसिल) में उनका बहुत प्रभाव है ।
  
  श्री गोखले यहाँ खास तौरसे हमारी स्थितिका अध्ययन करने आ रहे हैं। वे यहाँके सरकारी अधिकारियोंसे मिलेंगे। वे भारतीय [ राष्ट्रीय ] कांग्रेसके इस वर्षके अधिवेशनके अध्यक्ष होनेवाले हैं ।
  
  १. मूसा । इन्हें बॉक्सवर्ग स्वास्थ्य उपनियमके खण्ड ३३ का उल्लंघन करनेके अभियोग में सजा दी गई थी । अपील करनेपर सजा रद करते हुए जजने निर्णय दिया कि सत्ता देनेवाले नियममें यूरोपीयों

और रंगदार लोगोंके बीच भेद करनेकी गुंजाइश नहीं है और इन उपनियमों में वैसा भेद किया गया है, इसलिए ये अवैध हैं । इंडियन ओपिनियन, १०-८-१९१२ ।