पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३६६

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२८२. पत्र : हरिलाल गांधीको [ लॉली ] आश्विन सुदी ६ [ अक्तूबर १६, १९१२ ] चि० हरिलाल, कई महीनोंके बाद मुझे तुम्हारा पत्र मिला है, लगता है मैंने तुम्हें जो पत्र लिखे थे, वे तुम्हें मिले नहीं । मैंने आदरणीय रेवाशंकरभाईको तुम्हारे कांग्रेसमें सम्मिलित होनेके बारेमें लिखा है। सोराबजीके सम्बन्धमें मैंने जो कदम उठाया है उसे तुम समझ नहीं पाये हो । मुख्य बात यह है कि वे पारसी हैं और एक हिन्दूका उन्हें प्रोत्साहन देना शोभाकी बात है। अगर सोराबजी बॅरिस्टर हो जाते हैं तो उनका उत्तरदायित्व बढ़ेगा। सोराबजीकी सेवाओंका विशेष उपयोग नहीं किया जा सकता, मेढकी सेवाओंका किया जा सकता है। इसीलिए मैं मेढको बैरिस्टर होने में प्रोत्साहन नहीं देता । तुम्हें तो दे ही कैसे सकता हूँ ? तुम्हें दूं तो मेरे सारे विचारोंपर पानी फिर जायेगा। लेकिन मेरे विचार फिलहाल तुम्हें पसन्द नहीं आयेंगे । जब मिलेंगे तब विचार विमर्श करेंगे। अभी तो इतना ही काफी है कि तुम स्वतन्त्र रूपसे अपने चरित्रका निर्माण करो। मुझे विश्वास है, भविष्य में तुम अपने विचारों में परिवर्तन कर सकोगे। जहाँतक चंचलकी बात है तुम पुनः वासनाके शिकार बन चुके हो । मैं यह सब अच्छी तरह समझता हूँ। इसमें अहमदाबाद [ वातावरण ] का कोई दोष नहीं है। यह बात है ही ऐसी कुछ कठिन कि एक महान प्रयत्न तथा सतत जागरूकताके बिना इसे उपलब्ध कर पाना असम्भव ही है। परन्तु यदि तुम अपने प्रयत्नमें लगे रहे तो किसी दिन इस पतनकारी वासनापर अवश्य ही विजय पा सकोगे। और यदि तुम इसमें सफलता पा सके तो अपनेको एक बदला हुआ व्यक्ति ही पाओगे और अपने में एक नई चेतनाका अनुभव करोगे। तुम्हारे पत्रसे लगता है कि चंची अव कुछ वर्षोंतक यहाँ नहीं आ सकेगी। बापूके आशीर्वाद गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ९५४४) की फोटो-नकलसे । १. तीसरे अनुच्छेदमें गांधीजी इस बातकी चर्चा करते हैं कि उन्होंने डॉक्टर मेहताके खर्चेसे इंग्लैंड में बैरिस्टरी पढ़नेके लिए सत्याग्रहियोंमें से सोराबजी शापुरजी अडाजानियाको क्यों चुना है; देखिए "पत्र : मगनलाल गांधीको”, पृष्ठ १ और “पत्र : डॉ० प्राणजीवन मेहताको”, पृष्ठ ६५ । सोराबजी वकालतकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए २१ जुलाई, १९१२ को लन्दनके लिए रवाना हुए। उस वर्ष आश्विन सुदी ६ को अक्तूबरकी १६ तारीख पड़ी थी । २. यह पत्र उपलब्ध नहीं है । Gandhi Heritage Portal