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आरोग्यके सम्बन्ध में सामान्य ज्ञान [-१०]


भी पदार्थ नहीं है। आम तौरपर चाय और कॉफी आदिका सेवन हम लोग कुछ ही वर्षों पूर्व बिलकुल नहीं करते थे। किसी विशेष प्रसंगपर या दवाके तौरपर इन वस्तुओंका सेवन होता था। लेकिन अब नई सभ्यताके पदार्पणके साथ ये आम हो गई हैं। यों ही मिलनेके लिए आये हुए मेहमानके सामने भी हम ये चीजें पेश कर देते हैं। चायकी पार्टियाँ होती हैं। लॉर्ड कर्जन के कार्य-कालमें तो चायने कहर ही ढा दिया था। उक्त महोदयने चायके व्यापारियोंकी हिमायत करनेकी धुनमें घर-घर चायका प्रचलन करवा दिया और जहाँ लोग पहले स्वास्थ्यप्रद वस्तुओंको पेयके रूप में लेते थे, वहाँ अब जिसे देखिए वहीं चाय पीने लगा है।

कोकोका प्रचार अधिक नहीं हुआ। कारण यह है कि वह चायसे कुछ अधिक महँगी है; और यह सौभाग्यकी बात है कि हमारा परिचय भी उससे कुछ कम ही हो पाया है। किन्तु फैशनपरस्त घरोंमें तो कोको अच्छी सत्ता जमाये हुए है।

चाय, कॉफी और कोको - इन तीनों वस्तुओंमें कोई ऐसी बात है कि इनसे हमारी पाचन शक्ति मन्द हो जाती है। ये नशीली वस्तुएँ हैं, क्योंकि जिनको इनका व्यसन लग जाता है, उनसे इन्हें छोड़ते नहीं बनता। मैं स्वयं जब चाय पिया करता था, तो चायका समय होनेपर यदि चाय नहीं मिलती तो मुझे आलस्य जान पड़ता था। नशेकी यह सच्ची पहचान है। एक बार कोई ४०० स्त्रियाँ और बच्चे कहीं एकत्र हुए। व्यवस्थापकोंने यह निर्णय किया था कि चाय या कॉफी उन्हें नहीं दी जायेगी। इस मेले में एकत्रित हुई स्त्रियोंको दोपहरके ४ बजे चाय पीनेकी आदत थी। व्यवस्था-पकोंको खबर दी गई कि यदि औरतोंको चाय नहीं मिली, तो वे बीमार हो जायेंगी और चल-फिर भी नहीं सकेंगी। तब निर्णयमें तबदीली की गई। चाय बनाना शुरू होते-होते भाग-दौड़ मच गई कि जल्दी चाय चाहिए। स्त्रियोंके सिर भारी हो चुके थे। उन्हें एक-एक पल कठिन लग रहा था। जब चाय मिली तब इन भली स्त्रियोंकी जानमें जान आई। इस वर्णन में अतिशयोक्ति नहीं कि गई है; यह यथातथ्य है। चायने एक स्त्रीका हाजमा इतना खराब कर दिया था कि उसे कुछ पचता ही नहीं था और हमेशा सिर दर्द करता रहता था। किन्तु उसने जिस दिनसे अपने मनको मारकर चाय पीना छोड़ दिया, उसी दिनसे उसकी तबीयत सुधारपर है। इंग्लैंडकी बेटरसी नगरपालिकाके एक डॉक्टर के अनुसंधानके अनुसार हजारों स्त्रियोंके ज्ञान-तन्तु सम्बन्धी कुछ रोगोंका कारण उन स्त्रियोंका चायका व्यसन है। चायके कारण तन्दुरुस्ती बिगड़नेके बहुतेरे उदाहरण स्वयं मैंने देखे हैं और मेरा निश्चित मत है कि चायके कारण लोगोंके स्वास्थ्यको बहुत नुकसान पहुँचता है।

कॉफीके सम्बन्धमें तो हमारे यहाँ एक बहुत प्रचलित दोहा है :

'कफ काटन, वायूहरन, धातुहीन, बलछीन।
लोहूको पानी करे, दो गुन, अवगुन तीन॥'

यह दोहा ठीक मालूम होता है। कफ और वायुको नष्ट करनेकी शक्ति कॉफी में भले ही हो - यह गुण तो दूसरी वस्तुओंमें भी है। जिन्हें उक्त दो कारणोंसे कॉफी लेने की जरूरत पड़े उन्हें थोड़ी मात्रामें अदरकका रस पीना चाहिए। वह कॉफीकी