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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५५२

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एशियाइयोंसे सम्बन्धित ऑरेंज फ्री स्टेटके कानूनोंमें किसी प्रकारके परिवर्तनका जोरदार विरोध प्रकट करते हुए ऑरेंज फ्री स्टेटकी प्रान्तीय परिषदने एक प्रस्ताव भी पास किया ।

  दूसरी ओर, भारतीय समाजने कहा कि विधेयकके मसविदेको उसी रूपमें वह स्वीकार करता है, किन्तु अपनी यह माँग पूरी करानेके लिए वह आन्दोलन जारी रखनेको विवश होगा कि विधेयककी शर्तोंक अनुसार प्रवेश पानेवाले शिक्षित एशियाइयोंको संघके अन्य प्रान्तों में जैसी स्वतन्त्रता प्रदान करनेका निश्चय किया गया है, वैसी ही स्वतन्त्रता ऑरेंज फ्री स्टेटमें भी प्राप्त हो ।
  
  मन्त्रियोंने अनुभव किया कि विकल्पके रूपमें एक ऐसा विधेयक पास किया जा सकता है जो सिर्फ ट्रान्सवालमें ही लागू हो, लेकिन इसमें संवैधानिक प्रश्न उठ खड़े हुए, और फिर जब यह देखा गया कि विधेयकका मुख्य उद्देश्य - अर्थात् भारतीयों के प्रवासका प्रश्न निपटानेका उद्देश्य पूरा नहीं होगा तब मन्त्रियोंने विचार किया कि एक ही रास्ता है, और वह यह कि फिलहाल मामलेको जहाँका तहाँ छोड़ दिया जाये, और सत्र समाप्त होनेपर अवकाशकी अवधि में कोई ऐसा हल निकालनेकी कोशिश की जाये जो स्थायी साबित हो ।
  तदनुसार मन्त्रियोंने भारतीय समाजके नेताओंको वस्तुस्थितिकी सूचना दे दी, और उनके पास यह आशा करनेके कुछ कारण हैं कि संसदके अगले सत्र में प्रवासी अधिनियम पेश होने तक के लिए सत्याग्रह आन्दोलन अस्थायी रूपसे स्थगित रखा जायेगा ।
  अन्त में मन्त्रिगण महाविभवको यह सूचित करना चाहते हैं कि उन्हें बड़े खेदके साथ सारे मामलेको कुछ समयके लिए स्थगित करना पड़ा है; लेकिन सरकार के पास विभिन्न क्षेत्रोंसे प्रस्तावित कानूनके खिलाफ

जो आपत्तियाँ आई हैं, उन्हें देखते मन्त्रियोंने अनुभव किया कि मामलेपर और विचार करना बहुत जरूरी है ताकि एक ऐसा समझौता हो सके जो सभी पक्षोंको स्वीकार हो ।

लुई बोथा
 

[ अंग्रेजीसे ]

सी० डी० ६२८३


संघ-संसद् में स्मट्सका भाषण
  जनरल स्मट्सने कहा कि इससे पहले कि अध्यक्ष महोदय अपनी कुर्सी छोड़ें, मैं चन्द शब्द कहना चाहूँगा । मुझे दुःख है कि यह विधेयक, जो इस सत्र में सदनमें पेश किये जानेवाले अत्यन्त महत्वपूर्ण और मूल्यवान विधेयकों से है, विधि-पुस्तिकामें सम्मिलित नहीं किया जायेगा । किन्तु माननीय सदस्यगण देखेंगे कि अन्य अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा आवश्यक कानूनोंको बनानेमें बहुत ज्यादा समय लग जानेके कारण उनके लिए सम्भव नहीं होगा कि इस विधेयकके बारेमें आगे कार्रवाई की जा सके, और प्रवासके प्रश्नको अगले वर्षे कानून बनाकर निपटाने तक ज्योंका-त्यों छोड़ना पड़ेगा । विधेयकको द्वितीय वाचनके लिए प्रस्तुत करते समय मैंने कहा था कि सरकारके सामने दो उद्देश्य हैं। पहला है, दक्षिण आफ्रिका के प्रवासी कानूनोंमें एकरूपता स्थापित करना; और दूसरा है, भारतीय प्रश्नका, जो पिछले कुछ वर्षोंसे काफी परेशानी और चिन्ताका कारण बन रहा है, कोई हल निकालना । मैंने उन कठिनाइयोंके शीघ्र हल हो सकनेकी सम्भावन के सम्बन्धमें ब्रिटिश सरकार और संघ-सरकार के बीच हुए पत्र-व्यवहारको संसदकी मेजपर रखा है। हालाँकि इस विधेयकको चालू सत्र में पास करके उसे कानूनका रूप देना और इस प्रकार ब्रिटिश सरकार तथा संघ सरकार द्वारा लगभग स्वीकृत हलको कार्यान्वित कर सकना सम्भव नहीं है, फिर भी मुझे इस बातकी काफी आशा है कि मैं इस विधेयकके बिना भी अगले बारह महीने तक सत्याग्रह आन्दोलनको रोक सकूँगा, और अगले सत्र में संसद इस मसलेपर कोई कानून बनायेगी, इस बीच उसके बारेमें दक्षिण