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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५५३

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परिशिष्ट

आफ्रिकामें कुछ शान्ति बनाये रखूंगा । ऐसी स्थितिमें इस प्रश्नसे निपटने की कोई तात्कालिक आवश्यकता नहीं है, और इसपर और अधिक गम्भीरतापूर्वक विचार करनेकी दृष्टिसे तथा सामान्य तौरपर सम्पूर्ण दक्षिण आफ्रिकामें इसपर अधिक सावधानीसे सोचा-समझा जाये, इसलिए फिलहाल वह स्थगित रखा जा सकता है । यह विषय अत्यन्त महत्वपूर्ण है । यह केवल भारतीय प्रवाससे ही नहीं, बल्कि समस्त गोरों के प्रवाससे सम्बन्धित है, और इस विधेयकपर आगेकी कार्रवाई में विलम्व होनेसे चूँकि उसपर और अधिक गम्भीरतापूर्वक विचार करनेका अवसर मिलेगा, इसलिए उसे संसद में शायद ज्यादा आसानीसे पास किया जा सकेगा । अत: मैं प्रस्ताव करता हूँ कि कार्य-सूचीसे इस विषयको रद कर दिया जाये और विधेयक वापस ले लिया जाये ।

[ अंग्रेजीसे ]

केप टाइम्स,२६-४-१९११


परिशिष्ट ४
गांधीजीके नाम लेनका पत्र
केप टाउन
 
अप्रैल २२, १९११
 


प्रिय श्री गांधी,

  इसी २१ तारीखके मेरे पत्रके उत्तर में आपका २२ अप्रैलका पत्र मिला । 
  मैंने आपका पत्र जनरल स्मट्सको दिखाया है। उन्होंने मुझे यह कहनेको कहा है कि आप जिस भावनासे लिखते हैं उसकी वे कद्र करते हैं और उन्हें पूरी आशा है कि प्रश्नपर समझौतापूर्ण रुख रखकर सोचनेसे एक ऐसा अल्पकालिक हल निकल सकता है जिससे सभी सम्बद्ध लोगोंको एक अधिक स्थायी हल पानेकी दिशामें अपनी शक्तियाँ लगाने की सुविधा मिल जायेगी । 
  मुझे यह कहनेका अधिकार है कि मन्त्रीका इरादा संसदके आगामी अधिवेशनमें १९०७ के अधिनियम २ को रद करनेवाला एक ऐसा कानून पेश करनेका है जिसमें नाबालिग बच्चोंके अधिकारोंको सुरक्षित रखा जा सके । उक्त कानून बनाने में मन्त्रीका अभिप्राय ऐसी व्यवस्थाएँ करना है जो कानूनकी दृष्टिसे सभी प्रवासियोंको समानता प्रदान करेंगी; फिर चाहे उनके अमलमें कितना ही भेदभाव क्यों न बरता जाये ।
  
  जो दूसरा मुद्दा आपने उठाया है उनके सम्बन्धमें मुझे यह कहना है कि उक्त प्रस्तावित कानून में उन सभी सत्याग्रहियों को पंजीकृत करनेका अधिकार प्राप्त कर लिया जायगा जो यदि वर्तमान प्रतिरोध न होता तो १९०८ के अधिनियम संख्या ३६ के बावजूद उचित समयपर पंजीयन करा लेनेके कारण [ इस समय भी ] पंजीयन के अधिकारी होते ।
  
  मौजूदा अल्पकालिक प्रमाणपत्रोंको नियमित कर सकनेका अधिकार भी प्राप्त कर लिया जायेगा । मन्त्री महोदय उन शिक्षित सत्याग्रहियोंको, ये अल्पकालिक प्रमाणपत्र देने को तैयार हैं, जो इस समय ट्रान्सवालमें हैं परन्तु वर्तमान एशियाई कानूनों के अन्तर्गत जिनका पंजीयन नहीं किया जा सकता । मैं समझता हूँ ऐसे लोगों की संख्या अधिक से अधिक पाँच या छः है । जिनके पास ये प्रमाणपत्र होंगे वे, जो कानून बनने जा रहा है उसका ध्यान रखते हुए, ट्रान्सवालमें रहनेके अधिकारी होंगे ।
  
  अन्तमें में यह कह दूँ कि यदि आप इस प्रकारका आश्वासन दे दें कि समाज अपना सत्याग्रह आन्दोलन स्थगित कर देगा तो मन्त्री महोदय महाविभव गवर्नर जनरलते उन सत्याग्रही कैदियोंकी रिहाईके