ग
गोपनीय
नवम्बर ३०, १९११
प्रवासी विधेयक : सन्दर्भ मेरा आजकी तारीखका तार
आपके प्रश्नोंके सम्बन्धमें मन्त्रियोंका उत्तर मिल जानेपर मैं जे० सी० स्मट्सले मिला। वे सत्या- ग्रहियोंके पंजीयन प्रमाणपत्रोंके वैधीकरणका प्रश्न उठानेका तीव्र विरोध करते हैं । एक अलग विधेयककी आवश्यकता होगी। सरकार प्रमाणपत्र जारी कर रही है और वही उनकी वैधतापर आपत्ति कर सकती है । उन्हें जारी करके [ आपत्ति करनेसे ] स्वयं उसीको बाधा पहुँचेगी। उसका उद्देश्य सत्याग्रहियों की स्थितिको सुरक्षित करना है । मेरा खयाल है कि इस मुद्दे पर उसपर दबाव न डालना ही सर्वोत्तम है । मन्त्रियों के विवरणोंके उत्तर ३ के सम्बन्धमें जे० सी० स्मट्स आपके दृष्टिकोणको पूर्णतः स्वीकार करते हैं । किन्तु वे कहते हैं कि यह नया है और विधेयकमें नये प्रवासियोंके लिए व्यवस्था करना खतरनाक होगा । वे ज्यादा अच्छा यही समझते हैं कि यदि यह सवाल उठाना ही है तो संसद में उठाया जाये, और उसका जो समुचित समाधान सम्भव होगा, देंगे । गांधीने इस प्रश्नको नहीं उठाया है । उत्तर ४ के सम्बन्धमें उनका विचार है कि गांधी कठिनाई उपस्थित नहीं करेंगे। उनका खयाल है कि उस अनुच्छेदपर भेदभावके दृष्टिकोणसे नहीं, बल्कि अन्य दृष्टिकोणोंसे विचार किया जा सकता है । अब लाइबेरियासे, और उनका खयाल हैं कि अन्य स्थानोंसे, वतनियोंको लानेके प्रयत्न किये जा रहे हैं और इसलिए उन्होंने ऐसे मामलोंमें कानून बनाना आवश्यक होनेपर उसकी व्यवस्था रखी है । सरकारने यहाँ भूमि और अन्य विकास कार्योंके लिए गोरोंको लानेकी जो योजना स्वीकार की है, उसको देखते हुए गोरोंको मुक्त रखना चाहिए । वे यह नहीं कह सकते कि उन्होंने कोई ऐसी योजना बना ली है जिसपर वे और गांधी सहमत हैं । उनमें मोटे तौरपर तो मतैक्य है, किन्तु जे० सी० स्मट्स यह जोखिम लेना नहीं चाहते कि अकल्पनीय घटनाओं के फलस्वरूप शब्दोंकी व्याख्याके आधारपर या अन्य प्रकारके वचन भंगका जो आरोप लगाया जाना सम्भव है, वह उनपर लगे । ऑरेंज फ्री स्टेट और केपमें तथा यहूदियोंके विरोधके कारण उनको सन्देह है कि वे विधेयकको स्वीकार करा सकेंगे, और इसीलिए वे ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं जिसमें विधेयकके सम्बन्धमें पहले ही से कोई पूर्वग्रह उत्पन्न हो ।
ग्लैडस्टन
[ अंग्रेजीसे ]
कलोनियल ऑफिस रेकर्डस : सी० ओ० ५५१/४४
घ
जनवरी ६, १९१२
प्रवासी विधेयक के मसविदेके विषयमें महाविभव गवर्नर जनरलने इसी १८ तारीखको सं० १५/२३४ और १५/२३५ संक्षिप्त विवरण भेजे हैं, उनके सम्बन्धमें मन्त्रीगण सादर निवेदन करते हैं कि उपनिवेश- मन्त्री और भारत-मन्त्रीने जो अतिरिक्त मुद्दे उठाये हैं उनपर उन्होंने सावधानीसे विचार किया है । १. गांधीजी श्री लेनसे २२ दिसम्बर १९११को जोहानिसबर्ग में मिले थे। तब उन्हें नये प्रवासी विधेयकको एक प्रति दिखाई गई थी; देखिए पृष्ठ १९७ । गांधीजीने लेनको लिखे गये अपने २९ जनवरीके पत्रके अन्त में ' पुनश्च' करके लिखा है कि विधेयक २५ जनवरीको जिस रूपमें प्रकाशित किया गया है वह पिछली बार उन्होंने जिस रूपमें उसे देखा था उससे कुछ बदला हुआ है ।