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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५९९

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परिशिष्ट ५६१ पट्टेकी एक शर्त यह है कि उसपर किसी रंगदार व्यक्तिको नहीं रहने दिया जायेगा। फिर भी, मन्त्रिगण अपने पहले इस आश्वासनको दुहराना चाहते हैं कि इन बस्तियों में ऐसे अनुदानोंकी तारीखसे पूर्व लोगोंने जो निहित स्वार्थ प्राप्त कर लिये हैं, उनमें हस्तक्षेप करनेका उनका कोई इरादा नहीं है। किन्तु, नये अधिकार प्राप्त करनेकी कोशिशोके विरुद्ध वे कोई कार्रवाई न करें, यह असम्भव है । इस सम्बन्धमें वे इतना और कहना चाहते हैं कि एशियाई समाजके लोग उन कस्बों (टाउनशिप्स ) को एशियाई आबादीसे भर देनेके लिए संगठित रूपसे प्रयत्न कर रहे हैं जहाँ उन्हें पहले कोई अधिकार नहीं प्राप्त थे, और फलस्वरूप यूरोपीय समाज अत्यधिक क्षुब्ध होता जा रहा है, - इतना क्षुब्ध कि इससे सम्भवतः मन्त्रियोंको मजबूर होकर स्वामित्व-पट्टोंमें विहित शर्तोंको लागू करनेके लिए कस्वा कानूनके अन्तर्गत कार्रवाई करनी पड़ेगी । [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २७-४-१९१२ परिशिष्ट २० एस. डब्ल्यू. सावर प्रिय श्री गांधी, गांधीजीके नाम गोखलेका पत्र बैनेट हाउस २३१-३२ स्टड लन्दन, डब्ल्यू० सी० जुलाई २७, १९१२ मैंने आपको इस बातकी निश्चित सूचना देनेके लिए परसों तार भेजा है कि मैंने 'सैक्सन जहाजसे अपनी यात्राका टिकट ले लिया है । जहाज ५ अक्तूबर को साउदैम्पटनसे चलेगा । इसका मतलब यह हुआ कि मैं २२ अक्तूबरको केप टाउन पहुँचूँगा । इस तरह मुझे दक्षिण आफ्रिकामें २४ दिनोंका समय मिलेगा कौर १६ नवम्बरको मुझे डरबनसे बम्बई के लिए अवश्य ही प्रस्थान कर देना पड़ेगा । पिछले शनिवारको मुझे लार्ड क्रू का एक पत्र मिला था । उसमें प्रस्ताव था कि मैं भारतीय लोक-सेवाओंके सम्बन्ध में नियुक्त होनेवाले शाही कमीशनमें एक स्थान स्वीकार कर लूँ। मैंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है । किन्तु कमीशन अगली जनवरीके पहले अपना काम शुरू नहीं करेगा । अतः, उसके कारण मुझे ५ अक्तूबर से पहले दक्षिण आफ्रिकाके लिए प्रस्थान करनेकी जरूरत नहीं पढ़ेगी। कुमारी पोल्कने मुझे बताया है कि आज ही उन्होंने आपको एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने मुझे अपनी यात्राका टिकट लेनेमें जो कठिनाई हुई उसका जिक्र किया है । किन्तु, आज सुबह मुझे यूनियन कैसिल कम्पनीके अध्यक्ष सर ओवेन फिलिप्सका एक पत्र मिला है। उसमें उन्होंने लिखा है कि सब कुछ ठीक हो जायेगा और मेरी यात्राको सुविधापूर्ण बनानेके लिए पूरी व्यवस्था कर दी जायेगी। यदि श्री ओवेनका उत्तर असन्तोष- जनक होता तो उस हालत में मेरा इरादा अखबारों और अनेक सम्पादकों के नाम पत्र लिखनेका था । 'वेस्ट मिन्स्टर गजट' के श्री स्पेंडर, 'डेली न्यूज' के श्री गार्डिनर, 'नेशन' के श्री मैसिंघम, जो 'टाइम्स' के भी कर्मचारी हैं, इस सम्बन्धमें अपनी पूरी ताकत लगा देते । श्री रैम्जे मे कडाडका इरादा तो सदनमें प्रश्न पूछनेका भी था। श्री हरकोर्ट भी इस बातको लेकर बहुत क्षुब्ध थे । उनसे मैं स्पेंडर-परिवारके घर दिनके भोजनपर मिला था । उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उन्हें यह सूचित कर ११-३६ Gandhi Heritage Portal