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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/६०४

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५६६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय मौजूद है । यहाँ इतना और कह दिया जाये कि उनका माल जोहानिसबर्ग की यूरोपीय पेढ़ियोंने सप्लाई किया है। ये पेढ़ियाँ श्री भाषातको एक अत्यन्त ईमानदार व्यापारीके रूपमें कई वर्षोंसे जानती हैं । २२. सरकारके ध्यानमें ये तथ्य लाते समय मैं दक्षिण आफ्रिकी संघमें विनियमोंके जरिये कानून बनानेकी बढ़ती हुई प्रवृत्तिकी ओर विशेष रूपसे ध्यान खींचना चाहता हूँ । संघ-संसद और साम्राज्य- सरकारको इनकी कोई जानकारी नहीं है । मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि भारतीय समाज कोई नई सुविधा या अधिकारकी नहीं, बल्कि सिर्फ उस अधिकारको बनाये रखनेकी माँग कर रहा है जो उसे उक्त अधिनियमोंके लागू होनेसे पहले प्राप्त था । किन्तु, फिर भी वह १८८५ के कानून ३ की उन भेदभावपूर्ण व्यवस्थाओंको रद करने की अपनी माँगपर दृढ़ है, जिनके अनौचित्यके विरुद्ध साम्राज्य सरकारने युद्धसे पहले भी और उसके बाद भी कई बार रोष प्रकट किया है । २३. अतः मैं सरकारसे अनुरोध करूँगा कि वह इस बात के लिए अधिक से अधिक प्रयास करे कि जिस समाजपर पहले ही बहुत निर्योग्यताओंका भार है, उसपर और अधिक निर्योग्यताएँ न थोपी जायें, और उसका वह अधिकार, जो वास्तविक और संभावित है, तथा जिसे अबतक मान्य किया गया है और उचित ठहराया गया है, बरकरार रहे। [ आपका, ] एच० एस० एल० पोलक [ अंग्रेजी से ] इंडियन ओपिनियन, ६-७-१९१२ । परिशिष्ट २२ गोखलेके साथ हुई भेंटपर ग्लैडस्टनकी टिप्पणी गवर्नमेंट हाउस प्रिटोरिया नवम्बर २६, १९१२ गोपनीय महोदय, श्री गोखले कल मेरे साथ भोजन करने आये, और [भोजनोपरान्त ] हमने ब्रिटिश भारतीय प्रश्नपर चर्चा की । २. मैंने प्रधानमन्त्रीसे निश्चित पता चला लिया है कि उनके कुछ मन्त्रियोंने और औरेंज फ्री स्टेटमें बहुत से लोगोंने श्री गोखलेके किसी भाषणके अंश-विशेषका बहुत बुरा माना है क्योंकि उनकी रायमें उसमें धमकी दी गई थी । लेकिन मैं सन्तुष्ट हूँ कि श्री गोखलेका कोई इरादा धमकी देनेका नहीं था । उनकी इच्छा श्रोताओंको भारतमें जो स्थिति है उससे, और दक्षिण आफ्रिकामें लगातार संघर्ष से उत्पन्न होनेवाले सम्भावित खतरेसे परिचित करानेकी थी । खतरा और भी ज्यादा हो सकता है क्योंकि हर बात बढ़-चढ़कर ही पहुँचती है और दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतोंका क्रान्तिकारी लोग भारतमें अंग्रेजोंके विरुद्ध उपयोग करनेकी कोशिश कर रहे हैं। डर्बनमें अपने एक भाषण में उन्होंने अपना मंशा स्पष्ट किया । उन्होंने कहा कि प्रवासी विधेयक ( इमिग्रेशन बिल) पास हो जाये, इसके लिए मैं हृदयसे उत्सुक हूँ, हालाँकि आस्ट्रेलियन ढंगकी परीक्षाके स्थानपर कनाडियन ढंगकी परीक्षा लागू करनेकी श्री फिशरकी स्पष्ट Gandhi Heritage Portal