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तार : गृह-मन्त्रीको


इस बात में है कि हमें दुनयवी प्रवृत्तिसे निवृत्त होकर धार्मिक जीवन ग्रहण करना चाहिए। ऐसे जीवनमें काले या गोरे किसी भी मनुष्यके प्रति हिंसक व्यवहारके लिए कोई स्थान नहीं हो सकता।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २९-४-१९१४

३१६. तार : गृह-मन्त्रीको

[फोनिक्स
मई ६, १९१४ के पूर्व]

गृहमन्त्री

प्रान्तमें प्रवेश करनेकी इच्छा करनेवाली भारतीय पत्नियोंके फोटो देनेके नियमके बारेमें इस्लामिया अंजुमन द्वारा डर्बन भेजे गये तारको[१] मैंने देखा है। मैं प्रवासी विभागकी फोटो माँगनेकी जरूरतको समझने में असमर्थ। ध्यान दिलाता हूँ कि जब कुछ साल पहले ट्रान्सवालमें केवल पुरुषोंके बारेमें यह सवाल उठा था तब भी इससे बड़ी कटुता फैली थी और सरकारने कृपापूर्वक वह शर्त उठा ली थी। औरतोंके बारेमें तो यह बात बहुत खतरनाक है। आशा करता हूँ मन्त्री महोदय कृपापूर्वक प्रवासी अधिकारीको इस शर्तको हटाने और सम्बन्धितजनों द्वारा दिये गये स्थानीय प्रमाणोंको स्वीकार करनेका आदेश देंगे। यह भी मालूम हुआ है कि भारतीय प्रवेशार्थियोंके बारेमें प्रवासी विभाग आम तौरसे कठोर तरीके बरत रहा है। एक शिकायत यह है कि जो भारतीय एकसे अधिक प्रान्तोंमें निवासका अधिकार रखते हैं उनपर एक ही प्रान्तका चुनाव करनेके लिए दबाव डाला जाता है। निवेदन है कि यह शर्त मनमानी और अनावश्यक है। आज तक दोहरे या तिहरे निवासाधिकारकी प्रथापर कभी आपत्ति नहीं की गई और आशा करता हूँ कि १९१३ के प्रवासी अधिनियमकी कानूनी व्याख्याके बावजूद सरकारका इरादा वर्तमान परम्परासे हटनेका नहीं है।[२]

गांधी

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ६-५-१९१४
  1. १. डवनकी इस्लामिया अंजुमनके अध्यक्षने गृह मन्त्रीको एक तार भेजकर सूचित किया था कि भारतीय पत्नियोंके फोटो देनेकी शर्तपर भारतीय कौमोंको धार्मिक आपत्ति है, और यह अनुरोध किया था कि शिनाख्तके लिए स्थानीय प्रमाणोंको पर्याप्त माना जाये ।
  2. २. इसके उत्तर में गृह मन्त्रीने तारसे यह जवाब दिया: "आपका तार आज मिला । मामलेकी जाँच की जा रही है।"