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भेंट : ई० एम० जॉर्जेससे


हितोंको विवाह-अधिकारी नियुक्त कर देनेपर कई बुराइयोंको बड़ी आसानीसे बढ़ावा मिल सकता है, क्योंकि अपने-आपको पुरोहित कहनेवाले कुछ व्यक्ति ऐसे भी निकल सकते हैं जिनका चरित्र बहुत ऊँचा न हो। इसीलिए उनका मत था कि ऐसी नियुक्तियाँ बहुत सोच-समझकर की जाये और वे ही पुरोहित चुने जायें जिनके नामपर उंगली उठाना सम्भव न हो। उनका खयाल था कि व्यवहारमें तो भारतीय विवाहोंको वैध बनानेका आम तरीका धारा २ के अन्तर्गत उनका पंजीयन कराना ही होगा या होना चाहिए; इसी आधारपर उन्होंने वैधताके अधिकारको अधिनियमके लागू होने तक सम्पन्न हो चुके विवाहों तक सीमित करनेका जोरदार विरोध किया था।[१]

... श्री जॉर्जेस और श्री गांधीने भेंटके दौरान दूसरे इस विषयपर भी विचार किया कि क्या धारा २ के अन्तर्गत भारतीय विवाहोंको पंजीयित करनेकी सत्ता आम तौर पर मजिस्ट्रेटोंको प्रदान करना उपयुक्त है, चाहे वे विवाह अधिकारी नियुक्त किये गये हों या नहीं।[२]

लगता है श्री गांधीने धारा ३के बारेमें उप-धारा (२) के उपबन्ध (ख) पर कोई आपत्ति नहीं की। लेकिन उन्होंने यह अवश्य कहा कि इस धाराके अन्तर्गत प्रवेश पानेको अधिकारिणी दिवंगत महिलाओंकी सन्तानको इसकी सुविधाओंसे वंचित नहीं किया जाना चाहिए। श्री जॉर्जेसने मेरे सचिवको बतलाया कि वे मन्त्रीके सामने कुछ इस प्रकारका एक संशोधन रखेंगे: धाराके अन्त में, “पारिभाषित" शब्दके पश्चात् कुछ इस प्रकारको शब्दावली जोड़ दी जाये जैसे कि "या विमुक्त किये गये किसी व्यक्ति और ऐसी एक मृत महिलाको सन्तान, जो यदि जीवित रहती तो इस खण्डके अर्थके अनुसार पत्नी मानी जाती या जिसका विवाह इस अधिनियमके खण्ड २की व्यवस्थाओंके अन्तर्गत पंजीयित हो सकता था।" मेरी जानकारीके अनुसार तो श्री गांधीने विधेयकके बारेमें केवल यही मुद्दे उठाये थे।[३]

हाँ, प्रशासन सम्बन्धी प्रश्नोंके बारेमें उन्होंने निम्नलिखित बातें कही थीं। उनकी मांग थी कि संघके विधि-सम्मत भारतीय निवासियोंकी सभी एकाधिक मौजूदा पत्नियोंको

  1. १. खरीते में आगे कहा गया था : मैं बतला दूं कि मैंने श्री जोससे पहले ही कहलवा दिया था कि मैं “ इस अधिनियमके लागू होने तक" इन शब्दोंको सम्मिलित करने पर खेद प्रकट करता हूँ। श्री जॉजेंसने कहा था कि ये शब्द जनरल स्मटसके आदेशसे जोड़े गये थे; परन्तु उनको यह नहीं मालूम था कि इस विषय में मन्त्रीका निर्णय अटल माना जाये या नहीं। इसलिए मुझे ऐसा नहीं लगता कि इस धाराके सम्बन्धमें श्री गांधी द्वारा किये गये अनुरोध एकदम बेकार चले जाएंगे। कुछ ही दिनोंमें उनको जनरल स्मटसके साथ इस विषयपर चर्चा करनेका अवसर मिलेगा।
  2. २. यहाँ खरीते में यह भी कहा गया था: “मुझे मालूम है कि श्री जॉर्जेस जनरल स्मटसको इसमें एक यह उपबन्ध जोदनेका सुझाव देंगे कि इस धाराके प्रयोजनके लिए 'विवाह अधिकारी' शब्दकी परिभाषा कोई भी मजिस्ट्रेट सम्मिलित किया जा सकेगा ।"
  3. ३. गांधीजीक साथ मई ३० की भेंटमें जनरल स्मटस गांधीजी द्वारा उठाये तीनों वैधानिक मुद्दोंपर सहमत हो गये थे । भेटका कोई भी विवरण उपलब्ध नहीं है। हाँ, गवर्नर-जनरलके जून ५, १९१४ के खरीते में उसका उल्लेख है । देखिए परिशिष्ट २४ ।